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Ashta Lakshmi: देवी लक्ष्मी के कितने रूप हैं, जानें उनकी पूजा करने के लाभ

Ashta Lakshmi: देवी लक्ष्मी हिंदू धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती हैं. वह समृद्धि, सौभाग्य, समृद्धि, सौभाग्य, धन, सम्पत्ति, समृद्धि और स्वर्ग की देवी हैं. वह विष्णु भगवान की पत्नी हैं और उनकी शक्ति हैं. देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी हैं.

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Inna Khosla
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these 8 roops of mata lakshmi are worshiped for glory purpose

Ashta Lakshmi( Photo Credit : News Nation )

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Ashta Lakshmi: देवी लक्ष्मी हिंदू धर्म की प्रमुख देवी मानी जाती हैं. वह समृद्धि, सौभाग्य, समृद्धि, सौभाग्य, धन, सम्पत्ति, समृद्धि और स्वर्ग की देवी हैं. वह विष्णु भगवान की पत्नी हैं और उनकी शक्ति हैं. देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा और आराधना किया जाता है. वह ऐसी मानी जाती हैं जो धन और समृद्धि को प्रदान करती हैं. उनकी पूजा और आराधना के लिए लोग विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जिनमें महालक्ष्मी व्रत, दीपावली, वर्णप्रतिपदा आदि शामिल हैं. लक्ष्मी देवी को स्वर्ण और रत्नों से भरी हुई एक प्रतिमा के रूप में भी पूजा जाता है. उन्हें भगवान गणेश के साथ साथियों के रूप में भी पूजा जाता है, जिन्हें विशेष रूप से लक्ष्मी-गणेश कहा जाता है.

1. अष्टलक्ष्मी:

आदिलक्ष्मी: यह देवी लक्ष्मी का आदि रूप है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है. भक्त इस रूप की पूजा शक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त करने के लिए करते हैं.

धनलक्ष्मी: यह देवी लक्ष्मी का सबसे प्रसिद्ध रूप है, जो धन और समृद्धि का प्रतीक है. भक्त इस रूप की पूजा धन-धान्य और भौतिक संपदा प्राप्त करने के लिए करते हैं.

धान्यलक्ष्मी: यह देवी लक्ष्मी का रूप अनाज और कृषि का प्रतीक है. भक्त इस रूप की पूजा अच्छी फसल और समृद्ध जीवन प्राप्त करने के लिए करते हैं.

गजलक्ष्मी: यह देवी लक्ष्मी का रूप ज्ञान और शिक्षा का प्रतीक है. भक्त इस रूप की पूजा ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करने के लिए करते हैं.

संतानलक्ष्मी: यह देवी लक्ष्मी का रूप संतान और परिवार का प्रतीक है. भक्त इस रूप की पूजा संतान प्राप्ति और परिवार की खुशी के लिए करते हैं.

वीरलक्ष्मी: यह देवी लक्ष्मी का रूप वीरता और शक्ति का प्रतीक है. भक्त इस रूप की पूजा साहस और शक्ति प्राप्त करने के लिए करते हैं.

विजयलक्ष्मी: यह देवी लक्ष्मी का रूप विजय और सफलता का प्रतीक है. भक्त इस रूप की पूजा परीक्षा में सफलता और जीवन में विजय प्राप्त करने के लिए करते हैं.

विद्यालक्ष्मी: यह देवी लक्ष्मी का रूप ज्ञान और शिक्षा का प्रतीक है. भक्त इस रूप की पूजा ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करने के लिए करते हैं.

2. नवलक्ष्मी:

नवलक्ष्मी देवी लक्ष्मी के नौ रूपों का समूह है, जिसमें अष्टलक्ष्मी के साथ-साथ महालक्ष्मी भी शामिल हैं, जो समग्र समृद्धि और कल्याण का प्रतीक हैं. भक्त इस समूह की पूजा जीवन के सभी पहलुओं में समृद्धि और कल्याण प्राप्त करने के लिए करते हैं.

3. अन्य रूप:

देवी लक्ष्मी के अनेक अन्य रूप भी हैं, जिनमें काली लक्ष्मी, श्यामलाक्ष्मी, त्रिपुरसुंदरी, कन्यालक्ष्मी, अन्नपूर्णा, राधा, सीता, पार्वती आदि प्रमुख हैं. इन विभिन्न रूपों की पूजा भक्तों की विभिन्न मनोकामनाओं और इच्छाओं के लिए की जाती है.

धन और समृद्धि प्राप्त करना चाहता है, तो वह धनलक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं. ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करना चाहता है, तो गजलक्ष्मी या विद्यालक्ष्मी की पूजा करें. अगर कोई भक्त संतान प्राप्ति चाहता है, तो वह संतानलक्ष्मी की पूजा कर सकता है. जीवन में विजय और सफलता प्राप्त करना चाहता है, तो वह विजयलक्ष्मी की पूजा कर सकता है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि देवी लक्ष्मी के विभिन्न रूपों की पूजा करने के लिए अलग-अलग मंत्र, पूजा विधि और स्तोत्र हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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