हर साल श्राद्ध पक्ष (Pitri Paksha) के खत्म होते ही अगले दिन से नवरात्र (Navaratri) शुरू हो जाता है, मगर इस बार ऐसा नहीं होगा. इस बार श्राद्ध खत्म होते ही अधिकमास (Adhik Maas) लगने से ऐसा नहीं हो पाएगा. अधिकमास लगने से नवरात्रि पर्व 28-30 दिन आगे खिसक जाएगा. इस साल दो महीने अधिकमास लग रहे हैं. इससे नवरात्र और पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जाएगा. दरअसल, ऐसा लीप वर्ष (Leap Year) होने से हो रहा है. इस साल चतुर्मास भी चार महीने की बजाय पांच महीने का होगा.
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ज्योतिषीय गणना की मानें तो 160 वर्ष बाद लीप वर्ष और अधिकमास एक साथ पड़ रहे हैं. ऐसे में चतुर्मास लगने से विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे. श्राद्ध इस साल 2 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर को समाप्त होंगे. अगले दिन 18 सितंबर से अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा. वहीं नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू होकर 25 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा. चतुर्मास देवउठनी के दिन 25 नवंबर को समाप्त होंगे. चतुर्मास के समाप्त होने के बाद ही विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो सकेंगे.
चतुर्मास में नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं. इस मास में दुर्घटना, आत्महत्या आदि घटनाएं बढ़ जाती हैं. इनसे बचने के लिए मनीषियों ने चतुर्मास में एक ही स्थान पर रहकर गुरु यानी ईश्वर की पूजा करने को महत्व दिया है. मान्यता है कि भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा पर निवास करते हैं. इस दौरान व्रत पूजन और अनुष्ठान का अत्याधिक महत्व है.
Source : News Nation Bureau