विदिशा में है हजारों साल पुराना शिव मंदिर, शिवरात्रि पर बढ़ जाता है महत्व

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण हजारों वर्ष पहले किया गया था, लेकिन मुगल शासनकाल में इस मन्दिर को खण्डित कर दिया गया. जिसके बाद 16वीं शताब्दी में इंदौर की महारानी देवी अहिल्या बाई होलकर के शासन काल में इसका जीर्णोद्धार कराया गया. 

author-image
Karm Raj Mishra
New Update
Lord Shiva

विदिशा में हजारों साल पुराना शिव मंदिर है( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

एमपी के विदिशा जिले की लटेरी तहसील में ऐतिहासिक हजारों वर्ष पुराना एक ऐसा मंदिर है, जो अपने आप में कई साल पुरानी भारतीय परंपरा को समेटे हुए हुए है. विदिशा जिला मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर दूर लटेरी का यह मन्दिर छोटी मदागन सिध्देश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. आसपास के क्षेत्र सहित दूर दराज के शिव भक्तों के लिए यह धार्मिक स्थल आस्था का केंद्र बन चुका है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण हजारों वर्ष पहले किया गया था, लेकिन मुगल शासनकाल में इस मन्दिर को खण्डित कर दिया गया. जिसके बाद 16वीं शताब्दी में इंदौर की महारानी देवी अहिल्या बाई होलकर के शासन काल में इसका जीर्णोद्धार कराया गया. 

मंदिर से जुड़ी खास बातें

स्थानीय लोगों के अनुसार यह स्थल रामायण काल से संबंध रखता है. महर्षि बाल्मिकि आश्रम के रूप में प्रसिद्ध इस स्थल पर परमार काल में भव्य मंदिर का निर्माण किया गया था. लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इस मंदिर की तल योजना गर्भग्रह एवं मण्डप युक्त रही हैं. बाद में मंदिर का मण्डप भाग ध्वस्त हो चुका है. चबूतरे के रूप में कुछ भाग बचा हुआ है. इसमे ऊद्धर्व विन्यास, वैदीबन्ध, जंघा एवं शिखर समाहित हैं. शिखर भाग की पुर्नसंरचना परवर्ती काल में की गई थी तथा मंदिर का गर्भग्रह वर्गाकार है. 

ये भी पढ़ें- Mahashivratri 2021: महाशिवरात्रि पर कैसे करें भगवान शिव का जलाभिषेक, राशि अनुसार कैसे करें स्तुति

द्वार चौखट के ललाट बिम्ब पर गणेश एवं उत्तरंग पर नव देवियों के चित्रों का अंकन है, द्वारशाखा के दोनो और नन्दी, देवियां गंगा, यमुना उत्कीर्ण हैं. स्तंभ शाखा में शैव द्वारपाल एवं पृष्ट शाखों में अलंकरण एवं कुबैर के चित्रों का शिल्पांकन है. गर्भग्रह की बाह्य भित्तियों के गवाक्षों में ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव प्रतिमाओं का शिल्पांकन है. अंतराल के बाह्य गवाक्षों में गरूडासीन लक्ष्मीनारायण एंव उमा-महेश्वर का अंकन है, भूमिज शैली के इस मन्दिर के वेदीबन्ध जंघा भाग अलंकृत हैं. जंघा के ऊपर नाग शिखर स्थित है तथा शिखर की पुर्नसंरचना के कारण लता एंव क्षैतिज लम्बवृत कूट स्तंभ अव्यवस्थित हो गए हैं. 

शिखर के मध्य शुखनासिका गवाक्ष हैं उसके ऊपर लघु शिखरावतियों की ऊर्ध्वाकार पंक्तियां स्थित हैं. शिखर के शीर्ष पर आमलख एंव कलश की संरचनाऐं मौजूद हैं. जिससे मंदिर का निर्माण काल लगभग 11वीं शदी उत्तरार्ध है. वर्तमान मे यह मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में स्तिथ लटेरी धार्मिक क्षेत्रों में अपनी विशेष पहचान रखती है, यहां एक नहीं बल्कि कई धार्मिक तीर्थ स्थल मौजूद हैं. जिनकी ख्याति मध्य प्रदेश ही नहीं बिल्कु देश भर में है.

ये भी पढ़ें- Mahashivratri 2021: शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें, भगवान शिव होंगे प्रसन्न

शिवरात्रि पर इस मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है. शास्त्र कहते हैं कि चारों पुरूषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है. शास्त्र कहते हैं कि संसार में अनेक प्रकार के व्रत, विविध तीर्थ स्नान, नाना प्रकार के दान, अनेक प्रकार के यज्ञ, तरह तरह के तप तथा जप आदि भी महाशिवरात्रि व्रत की समानता नहीं कर सकते अतः अपने हित साधनार्थ सभी को इस व्रत का अवश्य पालन करना चाहिए. महाशिवरात्रि व्रत परम मंगलमय और दिव्यतापूर्ण है इससे सदा सर्वदा भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

यह शिवरात्रि व्रत, व्रतराज के नाम से विख्यात है. महाशिवरात्रि अपने भीतर स्थित शिव को जानने का महापर्व है वैसे हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि होती है पर फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि का विशेष महत्व होने के कारण ही उसे महाशिवरात्रि कहा गया है. यह भगवान शिव की विराट दिव्यता का महापर्व है इस महापर्व के दौरान समूचे लटेरी नगर को दुल्हन की तरह सजाकर शिव बरात की अगुवानी की जाती है. 

HIGHLIGHTS

  • विदिशा में है हजारों साल पुराना शिव मंदिर
  • शिवरात्रि पर बढ़ जाता है मंदिर का महत्व
  • शिवरात्रि पर उमड़ती है भक्तों की भीड़
shivratri Shiva Temple Shiva Temple stablished in Vidisha Thousands of years old Shiva Temple Religion Religious
Advertisment
Advertisment
Advertisment