अगर किसी व्यक्ति को जीवन में सफल और सुखी रहना है तो उसे चाणक्य नीति को अपनाना चाहिए. आचार्य चाणक्य की नीतियां बेहद कठोर मानी जाती है लेकिन ये जीवन की सच्चाई होती है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरीए पाप-पुण्य, कर्तव्य और अधर्म-धर्म के बारें में बताया है इनकी नीतियों के जरीए व्यक्ति अपने जीवन को बेहतरीन बना सकता हैं. आचार्य चाणक्य भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में से एक माने जाते हैं. चाणक्य ने अपने ज्ञान और अनुभव से जो कुछ भी जाना और समझा उसे अपनी चाणक्य नीति में दर्ज किया. चाणक्य नीति आज भी प्रासंगिक मानी जाती है.
चाणक्य ने संकट से निपटने के लिए जरूरी बातें अपनी चाणक्य नीति में बताई हैं. चाणक्य के अनुसार संकट के समय ही व्यक्ति की असली परीक्षा होती है. व्यक्ति कितना योग्य है इसका पता संकट के समय ही लगता है. यही नहीं कौन अपना है और कौन पराया है इसका भी पता संकट के समय ही लगता है. संकट से बचने के लिए चाणक्य की चाणक्य नीति क्या कहती हैं आइए जानते हैं-
आपदर्थे धनं रक्षेच्छ्रीमतां कुत आपद:।
कदाचिच्चलिता लक्ष्मी: सञ्चितोऽपि विनश्यति।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक का अर्थ यह है कि व्यक्ति को कठिन समय से बाहर निकलने के लिए धन का संचय करना चाहिए, क्योंकि धन की देवी यानी लक्ष्मी जी का स्वभाव बहुत ही चंचल है. एक समय ऐसा आता है कि जमा किया हुआ धन भी नष्ट हो जाता है. धन का संचय करना व्यक्ति की समझदारी का परिचायक है. इस बारे में व्यक्ति को गंभीर रहना चाहिए.
आचार्य चाणक्य का मानना था कि संकट के समय स्वार्थी लोग साथ छोड़ जाते हैं. संकट के समय ही अपने और पराए की पहचान होती है. संकट के समय धन ही सच्चा मित्र होता है. इसलिए धन की बचत करनी चाहिए क्योंकि यही मुसीबत के समय काम आता है. चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य अगर स्वस्थ है तो वो हर मुकाम हासिल कर सकता है. यही वजह है कि हर किसी को सबसे पहले अपने सेहत पर ध्यान देना चाहिए. आचार्य चाणक्य ने अपने कुछ श्लोक के जरीए लोगों को बताया है कि किस तरह का भोजन इंसान को सेहतमंद रख सकता है.
Source : News Nation Bureau