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Trayodashi Shradh: आज है त्रयोदशी श्राद्ध तिथि, जानें तर्पण का समय और सही तरीका

Trayodashi Shradh: हिंदू पंचांग के अनुसार आज त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध है. तर्पण का सही समय और श्राद्ध मुहूर्त क्या है आप ये भी जान लें. जब कोई भी अनुष्ठान सही तिथि और समय पर किया जाता है तो उसका फल भी मिलता है.

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Inna Khosla
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Trayodashi Shradh

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Trayodashi Shradh: अगर आप अपने जीवन में चाहते हैं कभी पितृ दोष न लगे, आप गया जी में जाकर अभी तक अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान नहीं कर पाए तो आपको उनके नाम का हर साल श्राद्ध करना चाहिए. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान हमारे पितर इस धरती पर आते हैं. जो भी व्यक्ति अपने पितरों की तिथि पर उनके नाम का श्राद्ध करता है मानते हैं कि उन पर उनके पूर्वजों का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है. आज साल 2024 में चल रहे पितृ पक्ष का तेहरवां श्राद्ध है जिसे त्रयोदशी श्राद्ध भी कहते हैं. तर्पण और श्राद्ध कर्म अगर आप मुहूर्त के अनुसार करते हैं तो इससे आपको उस कर्म का कई गुना फल मिलता है. जातक के जीवन में कभी परेशानी नहीं आती और उसे सफलता मिलने में भी देरी नहीं लगती. आज श्राद्ध अनुष्ठान का समय क्या है और तर्पण किस तरह किया जाता है आइए जानते हैं. 

श्राद्ध अनुष्ठान समय

त्रयोदशी तिथि सितम्बर 29, 2024 को शाम 04:47 पी एम बजे से शुरू हो चुकी है जो आज सितम्बर 30, 2024 को 07:06 पी एम बजे तक रहेगी. इसलिए त्रयोदशी का श्राद्ध आज ही किया जाएगा.

  1. कुतुप मूहूर्त - 11:47 ए एम से 12:35 पी एम
    अवधि - 00 घण्टे 48 मिनट्स
  2. रौहिण मूहूर्त - 12:35 पी एम से 01:22 पी एम
    अवधि - 00 घण्टे 48 मिनट्स
  3. अपराह्न काल - 01:22 पी एम से 03:45 पी एम
    अवधि - 02 घण्टे 23 मिनट्स

त्रयोदशी श्राद्ध करने की विधि 

सबसे पहले जो भी व्यक्ति अपने पितरों के नामका श्राद्ध कर्म करने वाला है उस व्यक्ति को शुद्ध होना चाहिए. इसके लिए स्नान करना और स्वच्छ वस्त्र धारण करना आवश्यक है. घर के एकांत स्थान पर पितरों के लिए एक स्थान बनाएं और इसे गाय के गोबर से लीपकर और गंगाजल से शुद्ध करें. पितरों की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे दीपक, धूप, नैवेद्य, जल आदि तैयार कर लें. अब आप किसी विद्वान ब्राह्मण द्वारा मंत्रों का उच्चारण कराते हुए श्राद्ध करें. तर्पण एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसमें पितरों को जल अर्पित किया जाता है. यह मान्यता है कि तर्पण से पितरों को शांति मिलती है. पितरों के लिए भोजन पकाया जाता है और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. दान करना भी श्राद्ध कर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. दान करने से पितरों को पुण्य मिलता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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