इस साल उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2020) 11 दिसंबर को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत् पूजा करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. इसके साथ ही घर में सुख समृद्धि आती है. उत्पन्ना एकादशी हर साल अगहन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. हिंदू धर्म में इस एकादशी का खास महत्व है. मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी से ही सभी एकादशी व्रत की शुरुआत होती है. उत्पन्ना एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है.
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उत्पन्ना एकादशी मुहूर्त:
उत्पन्ना एकादशी तिथि प्रारम्भ- 10 दिसम्बर की दोपहर 12: 51 मिनट
एकादशी तिथि का समापन- 11 दिसम्बर की सुबह 10: 04 मिनट
एकादशी व्रत पारण का समय- 11 दिसम्बर की दोपहर 01: 17 मिनट से 03: 21 मिनट
उत्पन्ना एकादशी के दिन इन बातों का रखें खास ध्यान
उत्पन्ना एकदशी का व्रत निर्जल और फलाहारी, दोनों तरीकों से रखा जाता है. इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाया जाता है और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. दिन की शुरुआत भगवान विष्णु को अर्घ्य देकर ही करें. अर्घ्य देने के लिए केवल दल में मिली हल्दी का ही इस्तेमाल करें.
उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि-
इस दिन सबसे पहले सुबह स्नान कर के साफ सुथरे कपड़े पहल लें. इसके बाद भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प लें भगवान विष्णु की विधि पूर्वक आराधना करें, उन्हें फलों का भोग लगाएं और व्रत की कथा सुनें. उत्पन्ना एकादशी के दिन ऐसा करने से समस्त रोग, दोष और पापों से मुक्ति मिलेगी.
उत्पन्ना एकादशी मंत्र
सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा। धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।।
कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च। श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।।
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:। कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।
Source : News Nation Bureau