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Utpanna Ekadashi 2023 Date: 8 या 9 दिसंबर, कब मनाया जाएगा उत्पन्ना एकादशी, जानें सही तारीख और शुभ मुहूर्त

Utpanna Ekadashi 2023 Date: मार्गशीर्ष महीने में भी एकादशी का व्रत रखा जाता है जिसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. चलिए जानते हैं इस साल कब है उत्पन्ना एकादशी का व्रत, साथ ही जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.

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Sushma Pandey
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Utpanna Ekadashi 2023 Date

Utpanna Ekadashi 2023 Date( Photo Credit : SOCIAL MEDIA )

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Utpanna Ekadashi 2023 Date: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व होता है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है. साथ ही इस दिन व्रत भी रखने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है उसके जीवन से सारे दुख छूमंतर हो जाते हैं और घर-परिवार, जीवन में खुशियों का आगमन होता है. यूं तो एकादशी का व्रत हर महीने आता है लेकिन मार्गशीर्ष के महीने पड़ने वाले एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. कहा जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है. आइए जानते हैं इस वर्ष उत्पन्ना एकादशी कब है, जानिए सही तारीख और शुभ मुहूर्त. 

कब है उत्पन्ना एकादशी 2023 का व्रत

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष महीने में पड़ने वाली उत्पन्ना एकादशी  8 और 9 दिसंबर, दोनों ही दिन मनाई जाएगी. दरअसल, गृहस्थ जीवन वाले लोग 8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत करेंगे तो वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोग यानि संत और सन्यासी 9 दिसंबर को व्रत रखेंगे. 

उत्पन्ना एकादशी व्रत  2023 शुभ मुहूर्त 

एकादशी तिथि की शुरुआत- 8 दिसंबर 2023 दिन शुक्रवार को सुबह 5 बजकर 6 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 9 दिसंबर 2023 दिन शनिवार को सुबह 6 बजकर 31 मिनट तक

उत्पन्ना एकादशी व्रत 2023 पारण शुभ मुहूर्त 

उत्पन्ना एकादशी व्रत पारण का समय 9 दिसंबर 2023 दिन शनिवार दोपहर 1 बजकर 16 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 20 मिनट तक. वहीं 10 दिसंबर 2023 दिन रविवार को वैष्णव एकादशी के लिए पारण कासमय सुबह 7 बजकर 3 मिनट से सुबह 7 बजकर 13 मिनट तक. 

उत्पन्ना एकादशी व्रत 2023  पूजा विधि

उत्पन्ना एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर साफ वस्त्र पहनें. उसके बाद पूजा स्थल को साफ करें फिर गंगाजल छिड़क कर पूजा शुरू करें.अब व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की पूजा शुरू करें.सबसे पहले उन्हें जल चढ़ाएं.फिर भगवान विष्णु को पीला चंदन और अक्षत चढ़ाएं. भगवान विष्णु को तुलसी दल चढ़ाना  बिल्कुल न भूलें. क्योंकि इसके बिना इनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. अब उन्हें भोग लगाएं और दीपक जलाकर एकादशी व्रत का पाठ शुरू करें. फिर भगवान विष्णु की चालीसा मंत्र का जाप करें और आखिरी में उनकी आरती करें. उसके बाद अंत में अपने भूल चूक के लिए माफी जरूर मांगें. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।) 

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Source : News Nation Bureau

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