हिंदू पंचांग के मुताबिक, वैकुंठ चतुर्दशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर है. ये दिन तिथि 6 नवंबर दिन रविवार को शाम 4:28 मिनट से शुरू हो रही है, जबकि, अगले दिन 7 नवंबर को 4:15 मिनट तक इसकी तिथि मान्य रहेगी. आपको बता दें कि, वैकुंठ चतुर्दशी भगवान शिव और भगवान विष्णु को समर्पित अवसर है.
वैकुंठ चतुर्दशी के दिन अगर आप भगवान शिव और भगवान विष्णु को प्रसन्न करते हैं तो उसका आपको दोगुना लाभ प्राप्त होगा. आइए हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि वैकुंठ चतुर्दशी के दिन क्या करने से आपको पापों से तो मुक्ति मिलेगी ही साथ ही वैकुंठ की प्राप्ति भी हो सकती है.
इन दो पाठ से 14000 पापों का होगा नाश
मंत्र और पाठ में बहुत प्रभाव होता है. इनके लगातार, सही और सही समय पर उच्चारण से हम कई तरह के कष्टों से आजाद हो सकते हैं. ऐसे हो दो पाठ अगर आप वैकुंठ चतुर्दशी के दिन करते हैं तो जीवन-मरण काल के 14000 पाप नष्ट हो सकते हैं, यही नहीं इनसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति भी हो सकती है.
आइए जानते हैं कि आखिर कौन से हैं वो पाठ और इन्हें किस तरह किया जा सकता है.
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पहला पाठ
हिंदू पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, एक बार जब नारद मुनि जी जब पृथ्वी लोक का चक्कर लगा रहे थे और चक्कर लगाकर जब वैकुंठ धाम पहुंचते हैं, तो भगवान आदर-सम्मान के साथ बैठाते हैं और नारदमुनि के आने का कारण पूछते हैं. तब नारद जी कहते हैं कि हे श्रीहरि! आप कृपानिधान हैं, आपका जो भी प्रिय भक्त हैं, वही आपको जान पाता है और जो सामान्य लोग हैं वो विमुख रह जाते हैं, इसलिए हे प्रभु! आप कोई ऐसा सरल रास्ता बताइए जिससे आम व्यक्ति भी आपकी भक्ति-भाव करके मोक्ष की प्राप्ति कर ले.
तब भगवान विष्णु यह सुनकर बोले कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन जो व्यक्ति व्रत का ईमानदारीपूर्वक पालन करता है तो उनके लिए वैकुंठ का मार्ग अपने आप खुल जाएगा. इसके अलावा भगवान विष्णु यह भी कहते हैं कि जो भक्त इस दिन मेरा नाम मात्र भी पूजा-अर्चना करता है तो उसके लिए स्वर्ग का मार्ग सदैव खुल जाता है.
दूसरा पाठ
एक बार की बात है एक धनेश्वर नाम का ब्राह्मण था,जो सदैव बुरे काम करने के लिए आतूर रहता था. उसके सिर पर कई पाप थे. एक बार वह गोदावरी नदी में स्नान के लिए गया, जिस दिन वह स्नान करने गया था उसी दिन वैकुंठ चतुर्दशी थी, वहीं वैकुंठ चतुर्दशी के दौरान घाट पर काफी भीड़ थी, धनेश्वर भी उन्हीं के साथ था. श्रद्धालु के स्पर्श के चलते धनेश्वर को पुण्य प्राप्त हुआ.
वहीं कुछ समय पश्चात जब उसकी मृत्यु हो गई, तब यमराज ने उसको कर्मों के अनुसार नरक में भेज दिया, लेकिन बाद में भगवान विष्णु ने कहा कि इसने वैकुंठ चतुर्दशी के दिन गोदावरी नदी में स्नान-ध्यान किया है, इसलिए इसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति होगी.
Source : News Nation Bureau