हिंदू संप्रदाय में कार्तिक मास का काफी अहम माना जाता है. वैसे तो इस पूरे महीने में अलग-अलग तिथियों पर अलग-अलग महत्व है, लेकिन फिर कुछ तिथियां विशेष रूप से पूजी जाती हैं. इन्हीं में से एक है वैकुंठ चतुर्दशी. कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पहले आने वाली इस तिथि को भगवान विष्णु की आराधना का खास दिन भी कहा जाता है. यही नहीं इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव की अराधना करना बेहद शुभ माना जाता है, इनकी विशेष पूजा-अर्चना करने से खास फल की प्राप्ति होती है.आइए इस खास मौके पर आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि भगवान विष्णु की अराधना किस विधि से करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी और कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए.
वैकुंठ चतुर्दशी पूजा करने का शुभ मुहूर्त?
वैकुंठ चतुर्दशी निशिताकाल का शुभ मुहूर्त सुबह पूजा का मुहूर्त 6 नवंबर को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा और रात्रि में पूजा मुहूर्त 11:45 से लेकर 12:37 तक रहेगा.
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किस विधि से करें पूजा?
-सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर व्रत संकल्प लें.
-इसके बाद आप भगवान विष्णु का जलाभिषेक करें
- विष्णु के जलाभिषेक के दौरान भगवान शिव की भी पूजा करने बेहद जरूरी है.
- भगवान शिव का रूद्राभिषेक करें, इससे भगवान शिव आपसे सदैव प्रसन्न रहेंगे.
- पूजा के बाद जरूरतमंदों को भोजन जरूर कराएं.
- जरूरतमंदों को अन्न, कंबल दान करें, इससे घर में दरिद्रता कभी नहीं आएगा.
इस मंत्र का करें जाप
- भगवान श्रीहरि विष्णु को इस मंत्र से करें प्रसन्न- "विना यो हरिपूजां तु कुर्याद् रुद्रस्य चार्चनम्। वृथा तस्य भवेत्पूजा सत्यमेतद्वचो मम".
- विष्णुसहस्त्रनाम का करें जाप.
- शिवस्त्रोतम का पाठ भी कर सकते हैं, या फिर अपने मोबाइल पर इसे चलाकर सुन भी सकते हैं.
HIGHLIGHTS
- वैकुंठ चतुर्दशी पूजा करने का शुभ मुहूर्त?
- किस विधि से करें पूजा?
- इस मंत्र का करें जाप
Source : News Nation Bureau