कार्तिक मास के दौरान कई एसी तिथियां आती हैं, जो आपको पूजा-अर्चना का काफी शुभ फल देती हैं. ऐसी ही एक तिथि है वैकुंठ चतुर्दशी. ये तिथि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर आती है. इस बार ये तिथि 6 नवंबर 2022 यानी रविवार को पड़ रही है. इस तिथि पर अगर आप भगवान विष्णु की आराधना करते हैं तो माना जाता है कि आपको वैकुंठ में स्थान मिलता है.
वैकुंठ चतुर्दशी का पौराणिक महत्व क्या है?
पौराणिक कथा के अनुसार वैकुंठ चतुर्दशी के दिन ही भगवान विष्णु और भगवान शिव का मिलाप होता है. कहा जाता है कि, देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 मास की निद्रा के बाद भगवान शिव से मिले थे. दरअसल भगवान विष्णु जब चार मास की निद्रा में थे, तो उन्होंने भगवान शिव को सृष्टि का संचालन सौंप दिया था, तब भगवान शिव ने सहजतापूर्वक सृष्टि का लालन-पालन किया था.आइए हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि वैकुंठ चतुर्दशी का महत्त्व क्या है, इसकी पूजा मुहूर्त कब है, यह सब आपको हम अपने इस लेख में बताएंगे.
वैकुंठ चतुर्दशी कब है?
बैकुंठ चतुर्दशी कार्तिक मास के चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है, बता दें चतुर्दशी तिथि 6 नवंबर को शाम 4:28 से लेकर अगले दिन 7 नवंबर को शाम 4:15 तक रहेगा.
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वैकुंठ चतुर्दशी पूजा मुहूर्त कब है?
चतुर्दशी तिथि का पूजा मुहूर्त दिनांक 6 नवंबर 2022 दिन रविवार को रात 11:45 से रात 12:37 तक रहेगा. इसमें सिद्धि योग भी बन रहा है, 6 नवंबर को सर्वार्थ सिद्धी योग रात 12:04 मिनट से लेकर अगले दिन यानी की 7 नवंबर को सुबह 6:37 तक इसका विशेष योग बन रहा है.
वैकुंठ चतुर्दशी का महत्त्व क्या है?
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है, मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने भगवान विष्णु को चार मास की निद्रा के बाद सुदर्शन चक्र दिया था और सृष्टि की संचालन सौंपा था. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने से वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है.
HIGHLIGHTS
- कब है बैकुंठ चतुर्दशी?
- पूजा मुहूर्त कब है?
- बैकुंठ चतुर्दशी का महत्त्व क्या है?
Source : News Nation Bureau