Vaishakh Purnima Vrat Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार 23 मई को वैशाख माह की पूर्णिमा मनाई जाएगी. वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इसके साथ ही इस दिन व्रत भी रखा जाता है. अगर आप भी इस बार पूर्णिमा का व्रत रख रहे हैं तो ऐसे में पूजा के बाद आपको ये कथा अवश्य पढ़नी चाहिए. यहां पढ़ें पूरी कथा.
वैशाख पूर्णिमा व्रत कथा (Vaishakh Purnima Vrat Katha)
एक बार, धनेश्वर नाम का एक धनी व्यक्ति था, लेकिन उसे संतान नहीं थी. इस वजह से वह बहुत दुखी रहता था. एक दिन, वह एक योगी से मिला, जिन्होंने उसे वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखने का सुझाव दिया. धनेश्वर ने विधि-विधान से वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखा और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की. कुछ समय बाद, उसकी पत्नी सुशीला गर्भवती हुई और उन्हें एक सुंदर पुत्र हुआ. यह व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए बहुत फलदायी माना जाता है.
वहीं एक अन्य कथा के अनुसार, गौतम ऋषि ने अपनी पत्नी अहिल्या को श्राप दिया था, क्योंकि उन्हें इंद्र ने धोखा दिया था. अहिल्या को पत्थर में बदल दिया गया था. वैशाख पूर्णिमा के दिन, भगवान राम वनवास के दौरान गौतम ऋषि के आश्रम में पहुंचे. गौतम ऋषि ने भगवान राम का स्वागत किया और उन्हें भोजन परोसा. भोजन के बाद, भगवान राम ने अहिल्या को पत्थर से मुक्त होने का वरदान दिया. इस व्रत को करने से पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति होती है.
वैशाख पूर्णिमा व्रत का महत्व
वैशाख पूर्णिमा का व्रत भगवान बुद्ध, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है. यह व्रत पुत्र प्राप्ति, धन प्राप्ति, और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी लाभदायी माना जाता है.
इस व्रत को रखने से पापों से मुक्ति मिलती है और मन शांत होता है. इस व्रत के दौरान, व्रतधारी को मांस, मदिरा, और लहसुन-प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए. व्रतधारी को दिन भर में कम से कम एक बार भगवान का नाम जरूर लेना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau