Varaha Jayanti 2024: आज वराह जयंती है. भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में से वराह अवतार भी एक है. यह अवतार भगवान विष्णु ने तब लिया जब धरती को राक्षस हिरण्याक्ष ने पाताल लोक में ले जाकर छिपा दिया था. इस अवतार में भगवान विष्णु ने एक विशाल जंगली सूअर (वराह) का रूप धारण किया और पृथ्वी की रक्षा के लिए हिरण्याक्ष का संहार किया.
पौराणिक कथा के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में धरती समुद्र के जल में डूब गई थी. राक्षस हिरण्याक्ष जो कि महान असुर था, उसने धरती को समुद्र में जाकर छिपा दिया था. इस कारण देवता और ऋषि-मुनि बहुत परेशान हो गए. उन्होंने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे धरती को समुद्र से बाहर निकालें और उसकी रक्षा करें. भगवान विष्णु ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और वराह अवतार लिया.
वराह रूप धारण कर, भगवान विष्णु ने समुद्र में प्रवेश किया और धरती का पता लगाया. अपनी विशाल दांतों पर धरती को उठाकर भगवान विष्णु ने उसे समुद्र से बाहर निकाला और फिर उसे अपने स्थान पर स्थापित किया. कथा के अनुसार इसके बाद वराह रूपधारी भगवान विष्णु और हिरण्याक्ष के बीच भीषण युद्ध हुआ. हिरण्याक्ष बहुत बलशाली और अहंकारी था लेकिन भगवान विष्णु ने अंततः उसे पराजित किया और उसका वध कर दिया. इसके साथ ही धरती को वापस उसकी जगह पर स्थापित कर दिया.
वराह अवतार की यह पौराणिक कथा से सीख मिलती है कि जब भी संसार में अधर्म और अराजकता बढ़ती है तब भगवान विष्णु अपने भक्तों और संसार की रक्षा के लिए अवतरित हुए हैं. वराह अवतार के माध्यम से भगवान ने यह संदेश दिया कि पृथ्वी और धर्म की रक्षा के लिए वे सदैव तत्पर रहते हैं. इस अवतार की पूजा विशेष रूप से वैष्णव संप्रदाय में की जाती है और इसे धर्म, न्याय और सत्य की विजय के रूप में माना जाता है.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)