Varalaxmi Vrat 2020 : वरलक्ष्मी व्रत पर जानें कैसे हुई थी भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्मी की शादी

श्रावण मास (Sawan Month) के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को हिन्दू धर्म में वरलक्ष्मी का व्रत (Varalakshmi Vrat) होता है. माता वरलक्ष्मी महालक्ष्मी (Maha Lakshmi) का अवतार हैं. माता वरलक्ष्मी को मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली देवी माना गया है.

author-image
Sunil Mishra
New Update
Mahalakshmi

वरलक्ष्मी व्रत पर जानें कैसे हुई भगवान विष्‍णु व माता लक्ष्मी की शादी( Photo Credit : File Photo)

Advertisment

श्रावण मास (Sawan Month) के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को हिन्दू धर्म में वरलक्ष्मी का व्रत (Varalakshmi Vrat) होता है. माता वरलक्ष्मी महालक्ष्मी (Maha Lakshmi) का अवतार हैं. माता वरलक्ष्मी को मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली देवी माना गया है. इस बार वरलक्ष्मी व्रत आज यानी 31 जुलाई को मनाया जा रहा है. धार्मिक मान्यताओं की मानें तो वरलक्ष्मी व्रत का महत्व दीपावली की पूजा के समान ही होता है. माता वरलक्ष्मी दरिद्रता का नाश करती हैं और गणपति बप्पा कार्यों को सफल बनाते हैं. आइए जानते हैं माता लक्ष्मी का जन्म कैसे हुआ और कैसे वह भगवान विष्णु की पत्नी बनीं?

यह भी पढ़ें : Rakhi 2020: जानें रक्षाबंधन मनाने के पीछे की कहानी और इसका महत्व

भृगु ऋृषि की पत्नी ख्याति से एक सुंदर कन्या का जन्म हुआ​ था, जो सभी शुभ लक्षणों से युक्त थीं. उनका नाम लक्ष्मी रखा गया था. बड़ी होने के साथ ही लक्ष्मी भगवान विष्णु की भक्ति में लीन हो गईं और उन्‍हें पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप करने लगीं. एक दिन इंद्र भगवान उनकी परीक्षा लेने के उद्देश्‍य से भगवान विष्णु का रूप धारण कर उनके पास पहुंचे और वर मांगने को कहा. इस पर लक्ष्मी ने उन्‍हें पहले विश्वरूप का दर्शन कराने का निवेदन किया, जिससे इंद्र भगवान को वहां से लौटना पड़ा. अंत में भगवान विष्‍णु स्‍वयं वहां प्रकट हुए और देवी को विश्वरूप का दर्शन कराया. माता लक्ष्मी की इच्छा के अनुसार भगवान विष्‍णु ने उन्‍हें अपनी पत्‍नी के रूप में स्‍वीकार भी किया.

माता लक्ष्मी को लेकर एक अन्‍य कथा भी प्रचलित है. एक बार महर्षि दुर्वासा को किसी ने दिव्य माला भेंट में दी. रास्ते में ऐरावत पर विराजमान इंद्र मिले तो महर्षि दुर्वासा ने वो दिव्य माला इंद्र को दे दिया. इंद्र ने उसे ऐरावत के सिर पर डाल दिया. ऐरावत ने उस माला को अपने पैरों से कुचल दिया, जिसे देख महर्षि दुर्वासा क्रोधित हो गए और इंद्र को श्रीहीन होने का शाप दे दिया.

यह भी पढ़ें : Rakhi 2020: एक गांव ऐसा, जहां अनहोनी के भय से राखी नहीं बांधती बहनें

शाप के प्रभाव से इंद्र के हाथों से देवलोक चला गया. हर जगह असुरों का राज हो गया, देवता परेशान हो गए. सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्‍होंने असुरों की मदद से क्षीर सागर के मंथन का प्रस्ताव दिया. सागर मंथन से कई चमत्कारी वस्तुएं प्राप्त हुईं. सफेद कमल पर विराजमान माता लक्ष्मी भी सागर मंथन से निकलीं.

Source : News Nation Bureau

Lord Vishnu sawan 2020 Varlakshmi Vrat 2020 Mahalakshmi
Advertisment
Advertisment
Advertisment