पंचांग के अनुसार वैशाख के महीने (vaishakh month 2022) में कृष्ण पक्ष के दौरान पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2022) कहा जाता है. हिन्दू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व होता है. आमतौर पर साल में 24 एकादशी तिथि होती हैं. हर एकादशी का नाम और महत्व अलग होता है. इस दिन भगवान विष्णु (lord vishnu) की पूजा करने का विधान होता है. चैत्र के महीने के दिन पड़ने के चलते इसे वरुथिनी एकादशी कहा जाता है. माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी पर व्रत रखने और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.
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इस साल वरुथिनी एकादशी 26 अप्रैल के दिन (varuthini ekadashi 2022 date) मंगलवार को पड़ रही है. इसी दिन व्रत रखा जाएगा. इस एकादशी को कल्याणकारी एकादशी भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी व्रत को रखने वाले भक्त जो कि पूरे मन से भगवान श्री विष्णु की पूजा करते हैं. उन्हें भगवान की कृपा से सौभाग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन योग में किए गए शुभ कार्यों का फल तीन गुना प्राप्त होता है. वरुथिनी एकादशी व्रत (varuthini ekadashi 2022 vrat) रखने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है. तो, चलिए आपको इस दिन के महत्व, पारण समय और व्रत नियम भी बता देते हैं.
वरुथिनी एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से सुख, सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही मन को शांति मिलती है. इस व्रत को रख रहे लोगों को पूजा के दौरान ओम नमो भागवत वासुदेवाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए. इस दिन सभी को धार्मिक कार्य करने चाहिए. इस दिन एकादशी व्रत की कहानी भी सुनें. इस दिन पूजा और व्रत रखने से बैकुंठ की (Varuthini Ekadashi 2022 Significance) प्राप्ति होती है.
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वरुथिनी एकादशी के व्रत का पारण समय
वरुथिनी एकादशी व्रत का पारण 27 अप्रैल दिन बुधवार को सुबह 06 बजकर 41 मिनट से सुबह 08 बजकर 22 मिनट के बीच कर लिया जाना चाहिए. पारण में हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि द्वादशी तिथि का समापन न हो और हरि वासर (varuthini ekadashi 2022 vrat paran time) भी न हो.
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वरुथिनी एकादशी के व्रत का नियम (varuthini ekadashi 2022 vrat niyam)
इस दिन व्रत रखने के नियम के अनुसार वरुथिनी एकादशी के दिन सुबह-सुबह उठकर सूर्योदय से पहले जल में थोड़ा-सा गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए.
इसके बाद व्रत रखने का संकल्प लें.
फिर, पूजा में भगवान को खरबूजे का भोग लगाना चाहिए और मन ही मन भगवान विष्णु के नाम का जाप करना चाहिए.
भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय होती है. एकादशी के व्रत में श्री विष्णु को तुलसी जल अर्पित करना चाहिए.
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इसके साथ ही पूजा के समय एकादशी व्रत की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए.
वरुथिनी एकादशी का व्रत रख रहे लोगों को उस दिन भोजन नहीं करना चाहिए.
बस, प्रसाद में फलाहार लेना चाहिए.
इस दिन नमक खाने से भी बचना (varuthini ekadashi 2022 vrat katha) चाहिए.