Varuthini Ekadashi 2023 katha : दिनांक 16 अप्रैल दिन रविवार यानी कि कल वरुथिनी एकादशी है. हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत रखी जाती है और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है, कि जो व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि एक बार राजा युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से वैशाख कृष्ण एकादशी के महत्व और कथा के बारे में बताने का निवेदन किया था. तब भगवान श्रीकृष्ण ने वरुथिनी एकादशी के बारे में विस्तार से बताया था. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में वरुथिनी एकदाशी व्रत कथा के बारे में बताएंगे, साथ ही शुभ मुहूर्त क्या है.
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जानें क्या है वरुथिनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि जब राजा मांधाता का अपने राज्य में शासन था. तब वह अपने प्रजा का पालन किया करते थे. धर्म-कर्म के कार्यों में रुचि रखते थे. एक दिन की बात है, वह जंगल में गए और तपस्या करने लगे. कुछ समय के बाद वहां एक भालू आया. ये राजा को पता नहीं चला. वह अपने तपस्या में पूरी तरह से लीन थे. तभी भालू ने उन पर हमला कर दिया और उनका पैर घसीटने लग गया. वह फिर भी भगवान की तपस्या में लीन थे. उन्होंने कोई प्रतिरोध नहीं किया. वे शांति से भगवान श्री हरि विष्णु की तपस्या में लीन थे. इस दौरान भालू उन्हें घसीटकर जंगल के अंदर लेकर चला गया.
तब राजा मांधाता की आवाज सुनकर भगवान विष्णु दौड़े-दौड़े आए. उन्होंने चक्र से उस भालू का गर्दन काट दिया और इस तरह से उन्होंने राजा मांधाता के प्राणों की रक्षा की. भालू ने राजा मांधाता का पैर चबा लिया था. इससे राजा बहुत दुखी थे. तब भगवान विष्णु ने उनसे कहा कि यह तुम्हारे पिछले जन्मों का कर्म है. तुम परेशान मत हो. तुम वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की वरुथिनी एकादशी के दिन मथुरा में उनके विरह स्वरूप की पूजा करो. तब तुम्हे नए शरीर की प्राप्ति होगी.
तब भगवान की आज्ञा मानकर राजा मांधाता वरुथिनी एकादशी के दिन मथुरा पहुंचे और भगवान विष्णु के बताए अनुसार, उन्हें उनकी विरह रूप की विधिवत पूजा की. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से राजा मांधाता को नए शरीर की प्राप्ति हुई. जिससे वह काफी खुश हुए और अपना जीवन सुखी से व्यतीत करने लगे. अंत में उन्हें मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति हुई.
इसलिए जो व्यक्ति वरुथिनी एकादशी के दिन व्रत करता है, उसे इस दिन व्रत कथा सुननी चाहिए. इससे व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
जानें क्या है वरुथिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
वरूथिनी एकादशी पूजा मुहूर्त - सुबह 07 बजकर 32 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक है.
वरूथिनी एकादशी पारण समय - दिनांक 17 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 54 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 29 मिनट तक है.
HIGHLIGHTS
- जानें कब है वरुथिनी एकादशी
- इस दिन पढ़ें ये व्रत कथा
- जानें पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है