आज माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी (16 फरवरी) को देशभर में वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है. शास्त्रों में माना गया है कि इस दिन वसंत ऋतु का आगमन होता है. वसंत को ऋतुराज कहा जाता है. वसंत पंचमी के त्योहार के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. वसंत के आगमन से धरती का सौंदर्य निखर जाता है और हर तरफ आनंद और खुशी का माहौल कायम हो जाता है. आज 16 फरवरी की भोर में 3:36 बजे से वसंत पंचमी शुरू हो चुकी है. आज सुबह से ही नदियों में लोग स्नान कर रहे हैं. हरिद्वार कुंभ में भी वसंत पंचमी पर श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं. 27वें नक्षत्र रेवती के अंतर्गत पूरे दिन शुभ योग भी रहेगा. इसमें पूजा-पाठ के पूर्ण शुभ फल की प्राप्ति होगी. वसंत पंचमी पर आज अबूझ सर्वार्थ सिद्धि योग और शुभ मुहूर्त होने के कारण सभी कार्यों में सफलता प्राप्त हो सकती है. आज रात्रि 8:56 बजे पंचक खत्म होगा.
वसंत पंचमी पर अद्भुत संयोग
विद्यार्थी इस दिन पीले वस्त्र धारण कर मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करें और धन संबंधी परेशानी दूर करने के लिए मां महालक्ष्मी की पूजा करें. मां सरस्वती को लाल गुलाब का पुष्प अर्पित करें.
शुभ मुहूर्त
- सवार्थ सिद्धि व अमृत योग मुहूर्त : 11:11 मिनट से 1.56 बजे तक
स्नान का समय
- सुबह 3.56 मिनट पर पंचमी लगने के बाद
सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि व रवि योग एक साथ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वसंत पंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि व रवियोग एक साथ पड़ रहे हैं और दिन भी मंगलवार पड़ा है. मकर राशि में चार ग्रह गुरु, शनि, शुक्र और बुध एक साथ होंगे व मंगल अपनी स्वराशि मेष में विराजमान रहेंगे. यह सब मीन राशि व रेवती नक्षत्र के अधीन होगा. साथ ही 27 योगों में सबसे मंगलकारी शुभ योग भी इस दिन व्याप्त रहेगा. इससे वसंत पंचमी त्योहार का महत्व कई गुना बढ़ गया है.
भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था मां सरस्वती को वरदान
ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती की पूजा कर यह वरदान दिया था कि सृष्टि के रहने तक वसंत पंचमी के दिन उनकी पूजा अर्चना की जाएगी. इसलिए विद्यार्थियों और शिक्षा जगत से जुड़े लोगों के लिए वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा महान पर्व माना जाता है. चरक संहिता कहती है कि वसंत ऋतु में स्त्री-रमण और वन विहार करना चाहिए. इस दिन कामदेव और रति की भी पूजा करने का विधान है.
Source : News Nation Bureau