Contaminated Area Of Your Home Can Make You Die: वास्तु में प्रत्येक दिशा और उपदिशा का अपना-अपना महत्व होता है. यदि इस बात का ध्यान रखकर भवन का निर्माण किया जाए तो परिणाम हमेशा शुभ फल देने वाले होंगे. दक्षिण व पश्चिम के मध्य कोण का नैऋत्य कोण घर में रहने वाले व्यक्तियों के चरित्र पर बहुत प्रभाव डालता है. यह कोण व्यक्ति के चरित्र का परिचय देता है कि यदि भवन का यह कोण दूषित होगा तो वहां पर रहने वाले लोगों का चरित्र अकसर कलुषित होगा. इसके अलावा उससे ईर्ष्या रखने वाले अधिक होते हैं. आपसी दुश्मनी अत्याधिक मानसिक तनाव देती रहती है. अगर मुकदमेबाजी हो जाए तो विजय प्राप्त करने में नाकों चने चबाने पड़ जाते हैं. नैऋत्य दक्षिण एवं पश्चिम दिशा को मिलाने वाला कोण है और यह उपदिशा शत्रुओं का नाश करती है क्योंकि इसका स्वामी राक्षस है. कई बार इस दिशा के कारण मनुष्य के प्राणों पर असमय संकट आ सकता है. यह उपदिशा दूषित होने के कारण भवन पर नकारात्मक ऊर्जा अधिक प्रभावी रहती है. मनुष्य आकस्मिक संकटों के जाल में फंसा रहता है.
नैऋत्य पीड़ित तो पैर पीड़ित
नैऋत्य दिशा का स्वामी राहु है. यह वास्तु पुरुष के दोनों पांवों की एड़ियों एवं नितंब को प्रभावित करता है. यदि घर के नैऋत्य में खाली जगह है, यहां पर कांटेदार वृक्ष हो तो गृहस्वामी बीमार, शत्रुओं से पीड़ित एवं सम्पन्नता से दूर रहेगा. यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अगर नैऋत्य में मंदिर बना दिया जाए तो घर की सबसे बुजुर्ग स्त्री के पैरों में पीड़ा और रोग होने लगते हैं.
आर्थिक संकट हो सकता है
जन्म कुंडली का आठवां एवं नौवां स्थान नैऋत्य के प्रभाव में रहता है. इसलिए इस दिशा के अच्छे परिणामों के लिए इसे हमेशा भारी रखना चाहिए परंतु यदि वह खाली जगह है तो गृहस्वामी का खजाना खाली रहेगा.यदि ईशान की अपेक्षा नैऋत्य निम्न हो और ईशान से नैऋत्य की ओर पानी का बहाव हो तो शत्रुता बढ़ेगी. दक्षिण दिशा में ढलानदार बरामदों के कारण स्त्रियां तथा पश्चिम ढलानदार बरामदों के कारण पुरुष आर्थिक कठिनाइयों के शिकार होते हैं.
नैऋत्य का रसोई कराता है कलह
नैऋत्य दिशा में रसोईघर है तो पति-पत्नी में नित्य कलह होगा. घर के लोगों को गैस्ट्रिक यानी वायु विकार रहेगा. नैऋत्य का हर कोण पूरे घर में हर जगह संतुलित होना चाहिए, अन्यथा दुष्परिणाम होते हैं. यहां बनने वाला भोजन विषाक्त हो जाता है. यहां पर कई वर्षों तक रसोई रहे तो घर के मालिक को असाध्य रोग होने की आशंका बहुत प्रबल हो जाती है. यहां पर पका खाना बहुत देर तक नहीं रखना चाहिए प्रयास करना चाहिए कि नैऋत्य की रसोई में बासी भोजन न रहे.
बढ़ा नैऋत्य देता है कष्ट
यदि जमीन का दक्षिण-पश्चिम कोना अधिक बढ़ा हुआ हो यानी बाहर निकला हो तो ऐसे घर में रोगों का वास होता है. घर के मुखिया की सर्जरी होती है और आंतरिक अंग निकाला जाता है. एक सीमा से अधिक बढ़ा होने पर गंभीर रोगों के शिकार हो सकते है. बढ़ा हुआ नैऋत्य कोर्ट-कचहरी के भी चक्कर लगवाता है.