Navratri Vastu Tips: नवरात्रि की पूजा में वास्तु शास्त्र का बहुत महत्व होता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा में दिशाओं और स्थान का विशेष प्रभाव होता है. नवरात्रि में देवी दुर्गा की सही दिशा में पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है. वास्तु के अनुसार, पूजा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में बैठकर करनी चाहिए. इस दिशा को वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं में शुभ माना जाता है क्योंकि इसे सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिकता की दिशा माना जाता है. पूजा करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए. जिससे देवी की कृपा प्राप्त हो और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़े.
वास्तु के अनुसार पूजा करते समय आपका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा माना जाता है, जो धन और समृद्धि के देवता हैं जबकि पूर्व दिशा को सूर्य देवता की दिशा माना जाता है, जो ज्ञान और ऊर्जा का प्रतीक है. इन दिशाओं की ओर मुख करके पूजा करने से पूजा का प्रभाव अधिक होता है. नवरात्रि की पूजा के लिए घर में उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा को सबसे शुभ माना जाता है. यह दिशा देवताओं की दिशा मानी जाती है और यहां पूजा करने से घर में शांति और समृद्धि का वास होता है. अगर ईशान कोण में पूजा करना संभव न हो तो पूर्व दिशा भी शुभ मानी जाती है.
वास्तु शास्त्र में दीपक की दिशा का भी महत्व होता है. पूजा स्थल पर दीपक को हमेशा दक्षिण-पूर्व (अग्नि कोण) दिशा में जलाना चाहिए. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. वास्तु के अनुसार, कलश को उत्तर-पूर्व दिशा में रखा जाना चाहिए. इससे घर में देवी की कृपा बनी रहती है और हर प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं. वास्तु के इन सरल उपायों का पालन करने से नवरात्रि की पूजा में आध्यात्मिक शक्ति और देवी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)