Vastu Tips For Wood Temple वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में लकड़ी का मंदिर रखना शुभ माना जाता है. लकड़ी का मंदिर घर में धार्मिक और आध्यात्मिक वातावरण स्थापित करता है और आत्मा को शांति और सकारात्मकता की अनुभूति कराता है. लकड़ी की प्राकृतिक ऊर्जा घर के वातावरण को पवित्र और शुद्ध बनाती है, जिससे घर के सदस्यों की भलाई और समृद्धि होती है. लकड़ी के मंदिर को घर के उत्तर-पूर्व कोने में रखना शुभ माना जाता है, क्योंकि यहाँ पर मंदिर की प्रवेश दिशा प्रमुख होती है, जो आत्मा को प्रवेश करने की दिशा देती है.
लकड़ी के मंदिर में विशेष रूप से तुलसी का पौधा, स्वर्ण या प्राकृतिक रंग के दीपक, पूजन के सामग्री, और प्रतिमा रखी जाती है. इससे घर के वातावरण में प्रकाश और प्रेम का वातावरण बना रहता है. लकड़ी के मंदिर का ध्यान और पूजन करने से घर के सदस्यों की मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति में सुधार होता है और वे धार्मिकता की ओर अधिक आकर्षित होते हैं. घर में लकड़ी का मंदिर रखना शुभ है या अशुभ, यह एक जटिल प्रश्न है जिसका उत्तर धार्मिक ग्रंथों, वास्तु शास्त्र और व्यक्तिगत मान्यताओं के आधार पर अलग हो सकता है.
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार
हिंदू धर्म में, लकड़ी को एक पवित्र सामग्री माना जाता है. लकड़ी से बनी मूर्तियों और मंदिरों की पूजा करना शुभ माना जाता है. हालांकि, कुछ ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि लकड़ी के मंदिर को घर के अंदर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार
वास्तु शास्त्र में, घर में लकड़ी के मंदिर रखने के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं. इन नियमों के अनुसार, मंदिर को घर के उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखना चाहिए. मंदिर को जमीन से थोड़ा ऊपर रखना चाहिए और उसके सामने पर्याप्त जगह होनी चाहिए. मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियां साफ-सुथरी और अच्छी स्थिति में होनी चाहिए.
व्यक्तिगत मान्यताएं
घर में लकड़ी का मंदिर रखना है या नहीं, यह निर्णय आपकी व्यक्तिगत मान्यताओं पर निर्भर करता है. आप लकड़ी के मंदिर को घर में रखने में सहज महसूस करते हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं, लेकिन उपरोक्त नियमों का पालन करना सुनिश्चित करें. लकड़ी के मंदिर को घर में रखने में सहज महसूस नहीं करते हैं, तो आप इसे घर के बाहर रख सकते हैं या किसी अन्य सामग्री से बने मंदिर का चुनाव कर सकते हैं. लकड़ी के मंदिर को नमी और धूप से दूर रखें. मंदिर को नियमित रूप से साफ करें और उसमें दीप जलाएं. मंदिर में फूल और मिठाई चढ़ाएं, ध्यान करें और प्रार्थना करें.
मंदिर के लिए कौन सी लकड़ी है बेस्ट ?
सबसे उत्तम लकड़ी चंदन, नीम, पीपल, आसन,
अन्य अच्छी लकड़ी देवदार, साल, अश्वत्थ,
नकारात्मक लकड़ी काजू, बबूल, शहतूत
मंदिर के वास्तु नियम
पूर्व या उत्तर दिशा सबसे उत्तम मानी जाती है. वास्तुशास्त्र में दक्षिण-पश्चिम दिशा ठीक, उत्तर-पश्चिम दिशा टालें और मंदिर को मुख्य द्वार के सामने न रखें. मंदिर को शयनकक्ष या स्नानघर के पास न रखें. मंदिर का निर्माण साफ-सुथरे और मजबूत लकड़ी से करें. मंदिर में दरवाजे और खिड़कियां न बनाएं. रंग हल्का और सफेद रखें और चारों ओर दीपक जलाएं. मंदिर में केवल एक ही देवता की मूर्ति स्थापित करें. मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं और वस्त्र पहनाएं.
मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और फूल अर्पित करें. मंदिर में प्रतिदिन पूजा करें. सुबह और शाम को दीपक जलाएं. फूल, फल और मिठाई अर्पित करें. धूप और अगरबत्ती जलाएं. मंत्रों का जाप करें. मंदिर को हमेशा साफ-सुथरा रखें. मंदिर के आसपास कूड़ा-कचरा न फैलाएं. मंदिर में नकारात्मक विचारों को न लाएं. इन नियमों का पालन करने से घर में लकड़ी का मंदिर रखना शुभ माना जाता है.
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(Disclaimer यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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Source : News Nation Bureau