Vastu Tips: स्वास्तिक एक प्राचीन हिन्दू संकेत है जो धर्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है. यह चार लक्ष्यों या धर्मों को प्रतिनिधित्त्व करता है: धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष. स्वास्तिक को अक्सर हिन्दू और जैन धर्म की पूजा, विवाह, और अन्य धार्मिक आयोजनों में प्रयोग किया जाता है. स्वास्तिक का चित्र चार बाहुओं वाला चक्र होता है जो घूर्णन द्वारा पूरी दिशा में प्रतीत होता है. इसका अर्थ है "शुभ" या "मंगलमय" और यह अच्छे भविष्य के लक्षण माना जाता है. स्वास्तिक की चारों बाहुओं को प्राण, वायु, अग्नि, और जल को प्रतिनिधित्त करते हैं, जो हिन्दू धर्म में चार तत्वों के प्रतीक हैं.
इसके अलावा, स्वास्तिक का प्रतिष्ठान धर्मशास्त्र में भगवान विष्णु और भगवान गणेश के रूप में भी है. स्वास्तिक एक प्राचीन संकेत है जो धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं को प्रतिनिधित्त करता है. यह धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष के चारों लक्ष्यों को प्रस्तुत करता है और जीवन के उद्देश्य की सफलता की कामना करता है. वास्तु शास्त्र में स्वास्तिक को अत्यंत शुभ माना जाता है. शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक बनाने के पीछे अनेक कारण हैं.
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1. सकारात्मक ऊर्जा का आह्वान
स्वास्तिक एक प्राचीन प्रतीक है जो सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि, और सौभाग्य का प्रतीक है. शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक बनाने से सकारात्मक ऊर्जा का आह्वान होता है और कार्य में सफलता प्राप्त होती है.
2. नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना
स्वास्तिक नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में भी मददगार माना जाता है. शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक बनाने से कार्य में आने वाली बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद मिलती है.
3. देवताओं का आशीर्वाद
स्वास्तिक को देवताओं का प्रतीक भी माना जाता है. शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक बनाने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कार्य में सफलता प्राप्त होती है.
4. एकाग्रता और मनःशांति
स्वास्तिक बनाने से मन एकाग्र होता है और मनःशांति प्राप्त होती है. इससे शुभ कार्य में मनोयोग से जुड़ने में मदद मिलती है.
5. वास्तु दोष दूर करना
वास्तु शास्त्र में स्वास्तिक को वास्तु दोष दूर करने में भी मददगार माना जाता है. यदि घर या कार्यस्थल में कोई वास्तु दोष है, तो शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक बनाने से वास्तु दोष दूर करने में मदद मिल सकती है.
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शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक बनाने का तरीका
स्वास्तिक को हमेशा चंदन, कुमकुम, या सिंदूर से बनाना चाहिए. स्वास्तिक को दायें हाथ से बाएं हाथ की ओर बनाना चाहिए. स्वास्तिक को चार रेखाओं से बनाना चाहिए, जो चार दिशाओं का प्रतीक हैं. स्वास्तिक को घर या कार्यस्थल के मुख्य द्वार पर बनाना चाहिए. शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक बनाने के अनेक लाभ हैं. यह सकारात्मक ऊर्जा का आह्वान करता है, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है, देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करता है, एकाग्रता और मनःशांति प्रदान करता है, और वास्तु दोष दूर करता है.
Source : News Nation Bureau