वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) की मानें तो घर में दो तरह की ऊर्जा का प्रवाह होता है : शुभ और अशुभ या सकारात्मक (Possitive) और नकारात्मक (Negative). जैसे वास्तु शास्त्र में अन्य चीजों के महत्व के बारे में बताया गया है, उसी तरह पूजाघर या छोटे से मंदिर के बारे में कई बातें बताई गई हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में पूजाघर या मंदिर के होने शुभ ऊर्जा का संचार होता है. पूजा का स्थान नियत होने से कई समस्याएं अपने आप खत्म हो जाती हैं. घर में आर्थिक समृद्धि भी बनी रहती है. हालांकि यह भी बताया गया है कि मंदिर या पूजा स्थान का लाभ तभी मिलता है, जब नियमों का पालन करते हुए इसकी स्थापना की जाए.
घर में पूजाघर या मंदिर ईशान कोण में होना चाहिए. ईशान कोण में जगह न बन पाए तो पूरब दिशा में मंदिर बनवाएं. पूजा का स्थान बार-बार न बदलें. पूजा स्थान का रंग हल्का पीला या श्वेत रखें. पूजा के स्थान पर देवी-देवताओं की भीड़ न लगाएं. आप जिस देवी या देवता के उपासक हैं, उनकी मूर्ति या फोटो रखें. मूर्ति की स्थापना आसन या छोटी चौकी पर करें. जिस मूर्ति की स्थापना करते हैं, उसकी ऊंचाई 12 उंगलियों से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. पूजा स्थान पर शंख, गोमती चक्र और एक पात्र में जल भरकर जरूर रखें.
पूजा का नियम बना लें. सुबह और शाम दोनों समय उपासना करें. शाम पूजा के समय दीया जरूर जलाएं. पूजा स्थान के मध्य में दीपक रखें. मंदिर या पूजाघर को साफ-सुथरा रखें. पूजा के स्थान पर लोटे में जल भरकर जरूर रखें. पूजा के बाद अर्पित किए जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें
पूजा स्थान की रोजाना सफाई करें और पितरों या पूर्वजों के फोटो वहां न रखें. पूजा के स्थान पर शनि देव का चित्र या मूर्ति भी न रखें. पूजा स्थान पर अगरबत्तियां न जलाएं. धूपबत्ती का उपयोग करें. पूजा स्थान का दरवाजा बंद न करें. स्टोर रूम या रसोई पूजा स्थान के साथ न बनाएं.
शयनकक्ष यानी सोने वाले कमरे में पूजा-पाठ न करें. शयनकक्ष में मंदिर भी न रखें. अगर घर में जगह का अभाव हो तो देवी-देवताओं का स्थान बना सकते हैं, लेकिन पूजा करने के बाद उनके स्थान पर पर्दा डाल दें.
Source : News Nation Bureau