हर साल आषाढ़ महीने में और चतुर मास की शुरुआत में मनाई जाने वाली वासुदेव द्वादशी इस साल 13 जुलाई को पड़ रही है. ये तिथि हमेशा देवशयनी एकादशी के एक दिन बाद पड़ती है. वासुदेव द्वादशी भगवान कृष्ण को समर्पित होती है. इस दिन भगवान कृष्ण के साथ-साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है. मान्यता है कि आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और अश्विनी मास में जो ये खास पूजा करता है उन्हें मोक्ष मिल ता है.
वासुदेव द्वादशी के दिन व्रत रखने का खास महत्व है. मान्यता है कि जो भी इस दिन व्रत रखता है उसके सारे पाप खत्म हो जाते हैं और संतान की प्राप्ति होती हैं. इस व्रत को करने से नष्ट हुआ राज्य भी वापस मिल जाता है. बताया जाता है कि यही नारद ने भगवान वासुदेव और माता देवकी को बताया था.
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ऐसे करें पूजा
वासुदेव द्वादशी के दिन प्रात: उठकर नहाकर और साफ कपड़े पहनकर भगवान कृष्ण और देवी लक्षमी की पूजा करनी चाहिए. इस दिन भगवान को हाथ का पंखा और फल-फूल चढ़ानें चाहिए. इसके बाद भगवान विष्ण की पंचामृतच से पूजा कर उन्हें भोग लगाना चाहिए. मान्यता है कि इस भगवान विष्णु के सहस्त्रनामों का जाप करने से हर कष्ट दूर हो जाता है. इस दिन भगवान वासुदेव की स्वर्णिम प्रतिमा का दान करना भी काफी शुभ माना गया है. बताया जाता है कि इस दिन वासुदेव की स्वर्णिम प्रतिमा को जलपात्र में रखकर और दो कपड़ों से ढककर पूजा करने के बाद उसका दान करना चाहिए.
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देवशयनी एकादशी के दिन तीन दुर्लभ योग
बता दें, शुक्रवार यानी आज भगवान विष्णु को समर्पित देवशयनी एकादशी है. देवशयनी एकादशी को पद्मा एकादशी भी कहा जाता है. वेद-पुराणों में कहा गया है कि देवशनयी एकदाशी से भगवान विष्णु चार महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं. यानी चार महीने तक भगवान विष्णु सोए रहते हैं. इस एकादशी के साथ चतुर्मास भी प्रारंभ हो जाएगा.
देवशयनी एकादशी को तीन दुर्लभ संयोग बन रहा है. मतलब अगर आप आज देवशयनी एकादशी का व्रत करते हुए विष्णु की आराधना करते हैं तो तमाम कामना पूरी होगी.
1. इस बार देवशयनी एकादशी का शुभ योग दोपहर 3.57 बजे से शुरू हो रहा है. जो अगले दिन तक रहेगा. इस योग में श्रीहरि विष्णु की पूजा भी उत्तम फल देने वाली होती है. कोई भी मांगलिक कार्य इस योग में करने से फलदायी होगा.
2. इसके अलावा एक दुर्लभ संयोग यह है कि देवशयनी एकादशी शुक्रवार को पड़ रही है. यह दिन माता लक्ष्मी को समर्पित है, जोकि भगवान विष्णु की पत्नी हैं. इस दिन व्रत करने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होगा.
3. 12 जुलाई को पड़ने वाले पद्मा एकादशी का तीसरा संयोग है रवि योग. शुक्रवार के अलावा एकादशी रवि योग में पड़ रहा है. सूर्य का आशीर्वाद के कारण धार्मिक और नवीन कार्य शुभ फलदायी होगा. सभी अशुभ दूर हो जाएंगे.
Source : News Nation Bureau