Vat Savitri Vrat 2023 : हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत ही खास महत्व है. वहीं इस बार मई माह में एक साथ दो अमावस्या पड़ रही है. इन अमावस्या को बहुत ही खास माना जा रहा है. क्योंकि एक अमावस्या ‘वट सावित्री अमावस्या’है और दूसरा ‘स्नान दान अमावस्या’है. इसलिए इस बार का संयोग बहुत ही अच्छा माना जा रहा है. वहीं बात करें वट सावित्री व्रत की तो, इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. आपको बता दें, इस बार दोनों अमावस्या दिनांक 19 मई को ही पड़ रही है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में वट सावित्री व्रत के महत्व के बारे में बताएंगे, साथ ही इस दिन स्नान-दान का क्या महत्व है.
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जानें क्या है वट वृक्ष का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि देवी सावित्री ने अपने पति सत्यवान के लिए वटवृक्ष के नीचे बैठकर यमराज से उनके प्राण की रक्षा की थी. इसलिए इसे वट सावित्री भी कहा जाता है. वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि बरगद के पेड़ में सभी देवताओं का वास होता है. इसलिए इसकी पूजा करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है.
जानें क्या है स्नान-दान और अमावस्या की खूबी
इस अमावस्या के दिन स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और उसके बाद पितरों का तर्पण भी किया जाता है. इससे पितृ दोष से भी मुक्ति मिल जाती है और व्यक्ति के सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है.
वट सावित्री के पूजा के समय करें इस मंत्र का जाप
अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।
पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते।।
यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा।।
परिक्रमा के दौरान करें इस मंत्र का जाप
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च। तानि सर्वानि वीनश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।