Vat Savitri Vrat 2024: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं. आपको बता दें, इस साल वट सावित्री व्रत के दिन रोहिणी नक्षत्र और धृति योग बन रहा है. इस दिन विवाहित महिलाएं बरगद के पेड़ के नीचे देवी सावित्री और सत्यवान की पूजा करती हैं. वट सावित्री के दिन विधिपूर्वक बरगद के पेड़ लगाने की मान्यता है
व्रत की सामग्री
गंगाजल, दूध ,घी, शहद, कुमकुम, हल्दी, चंदन, धूपबत्ती, दीपक,अगरबत्ती, फूल, बेल पत्र, दूब, सुपारी, नारियल, मोरी, मौली, कलावा
वट सावित्री व्रत पूजा की विधि
बरगद के पेड़ की जड़ों को साफ करें सबसे पहले, बरगद के पेड़ की जड़ों को पानी से अच्छी तरह धोकर साफ करें.
स्नान गंगाजल, दूध, घी और शहद से पेड़ की जड़ों और तने को स्नान कराएं.
रोली और चंदन का लेप हल्दी और चंदन का लेप बनाकर पेड़ की जड़ों और तने पर लगाएं.
कलावा बांधना एक लाल रंग का कलावा लेकर पेड़ के तने पर 5 या 11 बार बांधें. प्रत्येक बार कलावा बांधते समय, एक मनोकामना बोलें.
दीप प्रज्वलित करना दीपक और अगरबत्ती जलाकर पेड़ के समीप रखें.
फूल और फल अर्पित करना पेड़ को फूल, बेल पत्र, दूब, सुपारी, नारियल और मौली अर्पित करें.
आरती आरती की थाली में धूप, दीपक, अगरबत्ती और फूल रखकर बरगद के पेड़ की आरती उतारें.
व्रत कथा सावित्री-सत्यवान की व्रत कथा पढ़ें या सुनें.
परिक्रमा बरगद के पेड़ की 11 या 21 बार परिक्रमा करें.
दक्षिणा पंडित या ब्राह्मण को दक्षिणा दें.
वट सावित्री व्रत से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें
व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें और फिर व्रत का संकल्प लें.
पूरे दिन फलाहार करें और भोजन न करें.
शाम को सूर्यास्त के बाद व्रत का पारण करें.
व्रत के दौरान सत्य बोलें और किसी से झूठ न बोलें.
गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें.
बरगद के पेड़ की पूजा का महत्व
बरगद के पेड़ को पवित्र माना जाता है और इसमें देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का निवास होता है। वट सावित्री व्रत के दौरान बरगद के पेड़ की पूजा करने से सुख-समृद्धि, वैवाहिक सुख और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
यह भी पढ़ें: Chinnamasta Jayanti 2024: देवी छिन्नमस्ता जयंती कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, पौराणिक कथा और महत्व
Source : News Nation Bureau