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Vinayak Chaturthi 2023: आज है आषाढ़ विनायक चतुर्थी, जाने पूजा का शुभ मुहूर्त और गणपति को ऐसे करें खुश

Vinayak Chaturthi 2023: आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की शुरूआत दिनांक 19 जून दिन सोमवार से हो चुकी है. वहीं हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाता है. विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है.

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Aarya Pandey
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Vinayak Chaturthi 2023

Vinayak Chaturthi 2023( Photo Credit : social media )

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Vinayak Chaturthi 2023: आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की शुरूआत दिनांक 19 जून दिन सोमवार से हो चुकी है. वहीं हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाता है. विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है. ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति भगवान गणेश की इस दिन विधि-विधान से पूजा करता है, उसे आर्थिक संपन्नता के साथ बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है. आपको बता दें, आज दिनाक 22 जून दिन गुरुवार को आषाढ़ माह की विनायक चतुर्थी मानई जा रही है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि आषाढ़ विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, व्रत रखने से क्या लाभ होता है, पूजा विधि क्या है, इसके बारे में विस्तार से बताएंगे. 

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जानें आषाढ़ विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी दिनांक 21 जून 2023 को दोपहर 03 बजकर 09 मिनट से लेकर अगले दिन दिनांक 22 जून 2023 को शाम 05 बजकर 27 मिनट पर इसका समापन होगा. इस दिन गणपति की पूजा दोपहर में की जाती है. विनायक चतुर्थी पर चंद्र दर्शन करना वर्जित है.
गणेश पूजा का समय - सुबह 10.59 से लेकर दोपहर 13.47 तक 

विनायक चतुर्थी व्रत करने के होते हैं ये लाभ 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करना बहुत ही आसान होता है और साथ ही जो व्यक्ति सच्चे मन से इनकी पूजा करता है, उसके जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती है. इस दिन भगवान गणेश को मोदक, लड्डू, पीले वस्त्र और मिठाई का भोग लगाएं. भगवान गणेश को कहा जाता है, ये अपने भक्तों को कभी कष्ट नहीं झेलने देते हैं. साथ ही बुध और राहु-केतु की पीड़ा से भी व्यक्ति को मुक्ति मिल जाती है.

जानें विनायक चतुर्थी पूजा विधि 
आषाढ़ विनायक चतुर्थी वाले दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और भगवान गणेश को स्नान कराएं. फिर सिंदूर, दूर्वा, नारियल, मोदक, कुमकुम, हल्दी अर्पित करें. उसके बाद गणपति के इन मंत्रों का 108 बार जाप करें. आखिर में पूजा के बाद आरती कर गाय को हरा चारा खिलाएं और दान दें.

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