Advertisment

जब मैल से जन्में थे मंगल मूर्ती गणेश, जानें क्या है विनायक चतुर्थी की रोचक कथा और पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक पर्व है एक त्यौहार है. इस बार ये त्यौहार सावन मास के 12 अगस्त को है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन गणेश भगवान की विधिवत पूजा करने से लोगों के समस्त प्रकार के विघ्न, संकट मिट जाते हैं.

author-image
Gaveshna Sharma
New Update
विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व ( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

विनायक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक पर्व है एक त्यौहार है. इस बार ये त्यौहार सावन मास के 12 अगस्त को है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन गणेश भगवान की विधिवत पूजा करने से लोगों के समस्त प्रकार के विघ्न, संकट मिट जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार, गणेश भगवान प्रथम पूज्य हैं यानी कि सभी देवताओं से पहले पूजे जाते हैं. हर-पूजा पाठ का प्रारंभ उन्हीं के आवाह्न के साथ होता है. गणपति महाराज शुभता, बुद्धि, सुख-समृद्धि के देवता हैं. जहां भगवान गणेश का वास होता है वहां पर रिद्धि सिद्धि और शुभ लाभ भी विराजते हैं. इनकी पूजा से आरंभ किए गए किसी कार्य में बाधा नहीं आती है इसलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है. तो चलिए जानते हैं विनायक चतुर्थी की विधि पूर्वक पूजा, शुभ मुहूर्त और इस पर्व से जुड़ी एक बहुत ही रोचक कहानी. 

यह भी पढ़ें: भगवान शिव के 10 रुद्रावतार, जानें इनकी दिव्य महिमा

शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार, सावन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 11 अगस्त 2021 को शाम 04 बजकर 53 मिनट से 12 अगस्त 2021 को शाम में 03 बजकर 24 मिनट तक रहेगी.

पूजा-विधि
- सुबह उठ कर स्नान करें. 
- स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
- भगवान गणेश को स्नान कराएं. 
- स्नान के बाद भगवान गणेश को साफ वस्त्र पहनाएं.
- भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक लगाएं.
- सिंदूर का तिलक अपने माथे पर भी लगाएं.  
- गणेश भगवान को दुर्वा अतिप्रिय है इसलिए उन्हें दुर्वा अर्पित जरूर अर्पित करें.  
- गणेश जी को लड्डू, मोदक का भोग लगाएं. 
- अंत में गणेश जी की आरती करें.

यह भी पढ़ें: अगस्त में जन्में लोग होते हैं दिमाग के बेहद तेज, जानिये इनकी अन्य रोचक बातें भी

कथा
एक बार अपने पुत्र कार्तिकेय से दूर होने के बाद पुत्र के अभाव में माता पार्वती ने अपने मैल से एक सुंदर मूर्ती बनाई. स्वतः ही उस मूर्ती में जान पनपने लगी. ऐसा माता पार्वती की दिव्यता के कारण हुआ. मूर्ती में जब अपने जीवित में स्वरूप में आई तो उसने एक बालक का रूप ले लिया. उस बालक को माता पार्वती ने अपना पुत्र माना और विनायक नाम दिया. इसके बाद माता पार्वती कंदरा में स्थित कुंड में स्नान करने के लिए चली गईं और पुत्र विनायक को किसी भी स्थिति में किसी भी व्यक्ति को कंदरा के अंदर प्रवेश करने से रोकने का आदेश दिया. बालक विनायक अपनी माता के आदेश का पालन करने के लिए कंदरा के द्वार पर पहरा देने लगे. कुछ समय बीत जाने के पश्चात भगवान शिव वहां पहुंचे. भगवान शिव जैसे ही कंदरा के अंदर जाने लगे तो विनायक ने उन्हें रोक ने का प्रयास करने लगे. महादेव के अनेकों बार समझाने के बाद भी जब विनायक ने उन्हें अंदर प्रवेश करने से रोका तो क्रोध में महादेव ने विनायक का शीश उनके धड़ से अलग कर दिया. 

यह भी पढ़ें: अगस्त का महीना होने वाला है त्यौहारों और व्रतों से भरपूर, जानिए पूरी सूची

जब माता पार्वती कंदरा से बाहर आईं तो उन्हें बाहर का दृश्य देख अपने पुत्र का शीश कटा हुआ देख क्रोधित हो गईं. माता का रौद्र रूप देख सभी देवी देवता भयभीत हो गए. तब माता को शांत करने के लिए भगवान शिव ने अपने गणों को आदेश दिया कि ऐसे बालक का सिर ले आओ जिसकी माता की पीठ उसके बालक की ओर हो. शिवगण एक हथनी के बालक का शीश लेकर आए. जिसके बाद भगवान शिव ने गज के शीश को बालक के धड़ से जोड़कर उन्हें जीवित कर दिया और भगवान शिव ने बालक को वरदान दिया कि आज से संसार इन्हें गणपति के नाम से जानेगा. इसके साथ ही सभी देव भी उन्हें वरदान देते हैं कि आज से वह प्रथम पूज्य हैं.

HIGHLIGHTS

  • विनायक चतुर्थी पर व्रत रखने से मिटेंगे सभी संकट और होगा सब मंगल
  • 11 अगस्त शाम 04 बजकर 53 मिनट से 12 अगस्त शाम में 03 बजकर 24 मिनट तक रहेगा मुहूर्त 
vinayak chaturthi 2021 vinayak chauth pooja vidhi at home vinayak chaturthi 2021 shubh muhurat bhadrapad chaturthi 2021 shubh muhurat
Advertisment
Advertisment
Advertisment