हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. पारस परिवार (Paras Parivaar) के मुखिया श्री पारस भाई जी (Paras Bhai Ji) ने विनायक चतुर्थी को लेकर कहा कि यह तिथि भगवान श्री गणेश की तिथि है. हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक, गणपति बप्पा की कृपा प्राप्ति से जीवन सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं. गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है. विघ्नहर्ता का मतलब लोगों के सभी दु:खों को हरने वाले देवता, इसीलिए गणपति बप्पा को खुश करने के लिए विनायक/विनायकी चतुर्थी और संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है. इस दिन गणेशजी का पूजा-अर्चना करना लाभदायी माना जाता है.
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पारस भाई जी ने कहा कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश जी का जन्म हुआ था, इसलिए हर महीने की इस तारीख को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. गणेश चतुर्थी पर पूजा-पाठ करने से गणपति बप्पा अपने भक्तों को ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देते हैं. पूजा करते समय गणेश जी को दूर्वा अर्पित की जाती है. साथ ही उन्हें मोदक का भी भोग लगाया जाता है. इस तिथि को विनायक चतुर्थी भी कहते हैं.
पारस भाई के अनुसार, जानें फाल्गुन गणेश चतुर्थी की तिथि और शुभ मुहूर्त
विनायक चतुर्थी 2021 का शुभ मुहूर्त: फाल्गुन मास, शुक्ल पक्ष, चतुर्थी तिथि
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 16 मार्च, रात 8 बजकर 58 मिनट तक
चतुर्थी तिथि की समाप्ति: 17 मार्च, रात 11 बजकर 28 मिनट पर
मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 17 मिनट से दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक
पूजा की अवधि: 2.24 घंटे
जानें विनायक चतुर्थी का महत्व
पारस भाई जी ने कहा कि हिंदू त्योहारों में गणेश चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है. गणेश जी को यह दिन समर्पित है. मान्यताओं के मुताबिक, पार्वती मां ने अपनी दिव्य शक्तियों से चंदन के लेप का इस्तेमाल कर एक मूर्ति बनाई और उसमें प्राण डाल दिए. इस मूर्ति से जन्मा बालक ने माता पार्वती को अपनी मां कहा. पार्वती मां को पुत्र होने की खुश थी. इसलिए इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करना बेहद शुभ फल देने वाला होता है. विनायक चतुर्थी के दिन को कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए. ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी पर जो व्यक्ति चंद्रमा को देखता है वह मिथ्या दोशम या मिथ्या कलंक बनाता है.