Vishnu Ji Ki Aarti: गुरुवार के दिन करें जरूर पढ़ें ये आरती, भगवान विष्णु होंगे बेहद प्रसन्न!

Vishnu Ji Ki Aarti: कहा जाता है कि भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना करते समय उनकी आरती करने से आपको पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है. यहां पढ़ें भगवान विष्णु जी की पूरी आरती.

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Sushma Pandey
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Vishnu Ji Ki Aarti

Vishnu Ji Ki Aarti( Photo Credit : NEWS NATION)

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Vishnu Ji Ki Aarti: सनातन धर्म में भगवान विष्णु को पालनहार बताया गया है. पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार, भगवान विष्णु, परमेश्वर के तीन मुख्य रूपों में से एक रूप हैं. विष्णु जी ने जगत के कल्याण के लिए समय-समय पर अवतार बदले हैं. ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने 24 अवतार लिए. यूं तो हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन विष्णु जी की पूजा के लिए समर्पित माना जाता है. वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी भक्त इस दिन विष्णु जी की विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं तो उनके जीवन से सभी समस्याओं का अंत हो जाता है. कहा जाता है कि विष्णु जी की पूजा-अर्चना करते समय उनकी आरती करने से आपको पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है. यहां जानें उनके मंत्र और पढ़ें उनकी पूरी आरती. 

भगवान विष्णु जी के मंत्र (Vishnu Ji Ke Mantra)

  1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  2. ॐ विष्णवे नम:
  3. ॐ हूं विष्णवे नम:
  4. ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
  5. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
  6. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोद
    यात्।।
  7. भगवान विष्णु जी की आरती (Vishnu Ji Ki Aarti)
  8. ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
  9. भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
  10. ॐ जय जगदीश हरे।
  11. जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
  12. स्वामी दुःख विनसे मन का।
  13. सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
  14. ॐ जय जगदीश हरे।
  15. मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
  16. स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
  17. तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
  18. ॐ जय जगदीश हरे।
  19. तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
  20. स्वामी तुम अन्तर्यामी।
  21. पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
  22. ॐ जय जगदीश हरे।
  23. तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
  24. स्वामी तुम पालन-कर्ता।
  25. मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
  26. ॐ जय जगदीश हरे।
  27. तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
  28. स्वामी सबके प्राणपति।
  29. किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
  30. ॐ जय जगदीश हरे।
  31. दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
  32. स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
  33. अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
  34. ॐ जय जगदीश हरे।
  35. विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
  36. स्वमी पाप हरो देवा।
  37. श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
  38. ॐ जय जगदीश हरे।
  39. श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
  40. स्वामी जो कोई नर गावे।
  41. कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
  42. ॐ जय जगदीश हरे।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

Source : News Nation Bureau

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