Vrish Sankranti 2023 : हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सूर्य देव दिनांक 14 अप्रैल से मेष राशि में विराजमान हैं. अब इसके बाद दिनांक 15 मई दिन सोमवार को सुबह 11 बजकर 58 मिनट पर ये वृष राशि में गोचर करेंगे. ये दिनांक 14 जून तक वृष राशि में रहेंगे. उसके बाद अब ये दिनांक 15 जून को शाम 06 बजकर 29 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर करेंगे. बता दें, सूर्य के वृष राशि में गोचर करने से 12 राशियों के जीवन में इसका खास प्रभाव पड़ेगा. वृष संक्रांति के दिन स्नान और दान करने के साथ सूर्य पूजा का बहुत ही खास महत्व है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि वृष संक्रांति का समय क्या है, महापुण्यकाल क्या है, इसदिन दान करने का समय क्या है.
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जानें क्या है वृष संक्रांति का समय
इस साल वृष संक्रांति दिनांक 15 मई को सुबह 11 बजकर 58 मिनट पर मनाई जाएगी. इस दिन पुण्यकाल और महापुण्यकाल में स्नान, दान और पूजा पाठ करने के साथ सूर्यदेव की पूजा करने से कुंडली में स्थित ग्रह दोष से छुटकारा मिल जाता है.
जानें क्या है पुण्यकाल का समय
वृष संक्रांति के पुण्यकाल का कुल समय 7 घंटे 3 मिनट का है. इस दिन पुण्यकाल सुबह 04 बजकर 55 मिनट से लेकर 11 बजकर 58 मिनट तक रहेगा.
जानें क्या है महा पुण्यकाल का समय
वृष संक्रांति के दिन महा पुण्यकाल की कुल अवधि 2 घंटे 14 मिनट की है. इस दिन महापुण्यकाल सुबह 09 बजकर 44 मिनट से लेकर इसका इसका समापन दिन में 11 बजकर 58 मिनट पर होगा.
जानें क्या है वृष संक्रांति का महत्व
1. इस दिन वृष संक्राति के दिन सूर्य पूजा करने से कुंडली का सूर्य दोष दूर हो जाता है.
2. संक्रांति के दिन स्नान करने के बाद पितरों का जल तर्पण कर आप उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं.
3. पितरों को नियमित दान करने से पुण्य और आशीर्वाद मिलता है.
4. वृष संक्रांति के दिन सूर्यदेव से जुड़ी वस्तुओं का दान करने से कुंडली में स्थित सूर्य की स्थिति मजबूत होती है.