Yam Niyam: सनातन धर्म में यम नियम आचरण के ऐसे मूलभूत नियम हैं जो एक व्यक्ति को धार्मिक और नैतिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं. ये नियम व्यक्ति को समाज में एक अच्छे नागरिक के रूप में रहने और आत्मिक विकास करने में मदद करते हैं. यम नियम सनातन धर्म का आधार हैं. इन नियमों का पालन करके व्यक्ति एक उच्च नैतिक चरित्र का विकास कर सकता है. यम नियम व्यक्ति को समाज में एक अच्छा नागरिक बनने में मदद करते हैं. ये नियम व्यक्ति को आत्मिक विकास की ओर ले जाते हैं.
यम नियमों का मुख्य उद्देश्य अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह है.
अहिंसा किसी भी प्राणी को हानि न पहुंचाना अहिंसा. इसमें न केवल मानवों को हानि पहुंचाना शामिल है, बल्कि किसी भी जीव को भी दुख नहीं देना चाहिए. अहिंसा का अर्थ है मन, वचन और कर्म से किसी को हानि नहीं पहुंचानी चाहिए.
सत्य का अर्थ है हमेशा सच बोलना. जो व्यक्ति जीवन में सिर्फ सत्य ही बोलता है उसका मन हमेशा शांत रहता है और समाज में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती है. ऐसे लोगों से मुंह से निकली बात भी की बार सच साबित होती है.
अस्तेय का अर्थ है चोरी न करना. चोरी करना एक पाप है और इससे व्यक्ति का मन अशांत रहता है. किसी की चीज को बिना उसकी अनुमति के लेना चोरी है. अगर कोई ऐसा करता है तो वो जीवनभर उससे बचने के लिए भागता है और अशांत मन उसके जीवन को और मुश्किल बना देता है.
ब्रह्मचर्य का अर्थ है इंद्रियों पर संयम रखना. इंद्रियों पर संयम रखने से व्यक्ति अपनी ऊर्जा को आध्यात्मिक विकास में लगा सकता है. ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल शारीरिक संयम ही नहीं है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संयम भी है.
अपरिग्रह का अर्थ है अधिक से अधिक संचय न करना. हमें केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ही धन संचय करना चाहिए. अधिक धन संचय करने की इच्छा हमें दुखी बना सकती है.
आज के समय में यम नियमों का महत्व और भी बढ़ गया है. जिस तरह से बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के कारण लोग अक्सर दूसरों को हानि पहुंचा रहे हैं, झूठ बोलना, चोरी के मामले ये सब समाज को बर्बाद कर रहे हैं. लोग भौतिक सुखों में इतने खो गए हैं कि वे आध्यात्मिक विकास को भूल गए हैं. इन सब परिस्थितियों में यम नियमों का पालन करके हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)