Ekadashi Vrat Chawal: एकादशी के बाद चावल खाने के कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं. एकादशी व्रत के दौरान अन्न का त्याग किया जाता है. इस व्रत के दिन अन्न के स्थान पर दालिया, साबुदाना, फल, तथा सभी निराहार आहार का सेवन किया जाता है. इसके बाद, एकादशी का व्रत खत्म होने पर, चावल का सेवन किया जाता है क्योंकि यह आसानी से पचने वाला, सात्त्विक और पौष्टिक आहार होता है. चावल भी आहार का अहम हिस्सा है और एकादशी के बाद इसका सेवन किया जाता है ताकि शरीर को उत्तेजित किया जा सके और उसे उर्जा प्राप्त हो सके.
धार्मिक कारण: एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस व्रत में कई नियमों का पालन किया जाता है, जिनमें से एक है चावल का त्याग करना. चावल को भगवान विष्णु का प्रिय भोजन माना जाता है, इसलिए इसे एकादशी के दिन नहीं खाया जाता. एकादशी तिथि को चंद्रमा का प्रभाव अधिक होता है. चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे एकादशी के दिन नहीं खाया जाता.
वैज्ञानिक कारण: एकादशी के दिन चावल न खाने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है. चावल भारी भोजन होता है, और इसे पचाने में अधिक ऊर्जा लगती है. एकादशी के दिन चावल न खाने से पाचन तंत्र को हल्का भोजन मिलता है, जिससे यह आराम कर पाता है. चावल न खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है. चावल में पानी की मात्रा कम होती है, इसलिए इसे न खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ जाती है. एकादशी के दिन चावल न खाने से मन को शांति मिलती है. चावल में राजसिक गुण होते हैं, जो मन को अशांत कर सकते हैं. एकादशी के दिन चावल न खाने से मन को सात्विक गुणों का लाभ मिलता है, जिससे मन शांत रहता है.
एकादशी के बाद चावल खाने के बारे में अलग-अलग मत हैं. कुछ लोग एकादशी के बाद तुरंत चावल नहीं खाते, जबकि कुछ लोग अगले दिन सुबह चावल खाते हैं. यह व्यक्तिगत विश्वास और परंपरा पर निर्भर करता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau