What are the rules of Pind Daan: पिंडदान करना बेहद जरुरी होता है. धार्मिक ग्रहों के अनुसार, जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसका पिंडदान जरुर करना चाहिए नहीं तो माना जाता है कि मृतक प्रेत योनी में चला जाता है और उसका भार जीवित लोगों पर पड़ता है. पितरों का पिंडदान इसलिए किया जाता है ताकि उनकी पिंड की मोह माया छूटे और वो आगे की यात्रा प्रारंभ कर सके. वो दूसरा शरीर, दूसरा पिंड या मोक्ष पा सके. शास्त्रों में पिंड दान का अधिकार सबको नहीं दिया गया है. कुछ लोगों की ये मान्यता है कि सिर्फ बेटा ही पिंडदान कर सकता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार पिंड दान करने का अधिकार बेटे के अलावा और किसे है आइए जानते हैं.
पिता का पिंडदान कौन करता है?
पिता का पिंडदान पुत्र कर सकता है. अगर बेटा नहीं है तो यह अधिकार शास्त्रों ने पत्नी को दिया है। अगर पत्नी भी नहीं है तो सगा भाई और वो भी नहीं है तो सगे-संबंधियों को पिंडदान करना चाहिए।
एक से अधिक बेटे हों तो कौन करेगा पिंडदान
अगर एक से अधिक बच्चे हैं तो पितरों का पिंडदान करने का अधिकार सबसे बड़े बेटे को दिया जाता है। लेकिन अगर पुत्र नहीं है तो बेटी के बेटा को पिंडदान का अधिकारी दिया जाता है
पुत्र ना हो तो कौन करता है पिंडदान
वहीं पुत्र के न होने पर पौता या प्रपौता भी पिंडदान कर सकते हैं। पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र के न होने पर विधवा स्त्री को पिंडदान करने का अधिकार दिया जाता है। वहीं पति को भी पत्नी का
पिंडदान करने का अधिकार तब बताया गया है जब उसका कोई पुत्र ना हो.
क्या गोद लिए पुत्र का पिंडदान मान्य होता है
पुराणों में बताया गया है अगर पुत्र, पौत्र या बेटी का बेटा भी ना हों तो भतीजा भी पिंडदान कर सकता है। इसके अलावा गोद में लिया पुत्र भी पिंडदान का अधिकारी होता है.
पितृ पक्ष में जरुर करें ये काम
पितृपक्ष में हर दिन स्नान करने के बाद दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके जल में काला तिल डालकर तर्पण करना चाहिए। परिवार की भलाई के लिए पितरों का सम्मानपूर्वक श्राद्ध जरुर करना चाहिए.
Source : News Nation Bureau