Rahu Ketu Ke Upay: राहु और केतु छाया ग्रह हैं, और इनके प्रभाव जटिल और अस्पष्ट हो सकते हैं. जब राहु और केतु खराब होते हैं, तो वे कई तरह के नकारात्मक प्रभाव पैदा कर सकते हैं. राहु और केतु ग्रह ज्योतिष शास्त्र में अहम ग्रहों में से दो हैं, जो चंद्रमा के राशि में चलते हैं और उनका महत्वपूर्ण योगदान होता है. ये दोनों ही शुभ और अशुभ प्रभावों को बढ़ावा देते हैं और जीवन में उतार-चढ़ाव का कारण बन सकते हैं. इनका गोचर आत्मा के उत्क्रांति, आध्यात्मिक विकास, और कर्म की दिशा में महत्वपूर्ण होता है. राहु और केतु की दशा और अंतरदशाओं का ध्यान रखना जीवन के मुख्य क्षेत्रों में समस्याओं को समाधान करने में मदद कर सकता है. ज्योतिष में राहु को भाग्य का कारक माना जाता है, जबकि केतु को कर्म का कारक माना जाता है. राहु जीवन में अच्छे संयोजन और स्थिरता को दर्शाता है, जबकि केतु को विचारशीलता, अनुभव, और आत्मसाक्षात्कार का प्रतीक माना जाता है. इन ग्रहों के प्रभाव को समझकर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता और सुख की प्राप्ति के लिए उचित कदम उठा सकता है.
स्वास्थ्य: राहु और केतु स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे बीमारियां, संक्रमण, और एलर्जी हो सकती हैं. राहु और केतु मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे चिंता, अवसाद, और अनिद्रा हो सकती है.
व्यक्तिगत जीवन: राहु और केतु व्यक्तिगत जीवन में बाधाएं पैदा कर सकते हैं, जिससे रिश्तों में तनाव, झगड़े, और अलगाव हो सकता है. राहु और केतु करियर में भी बाधाएं पैदा कर सकते हैं, जिससे नौकरी में कठिनाई, और आर्थिक नुकसान हो सकता है.
आध्यात्मिक जीवन: राहु और केतु आध्यात्मिक जीवन में बाधाएं पैदा कर सकते हैं, जिससे भ्रम, नकारात्मक विचार, और आध्यात्मिक विकास में रुकावट हो सकती है. राहु और केतु के खराब प्रभावों को कम करने के लिए
राहु केतु के उपाय: दान-पुण्य करें, गरीबों और जरूरतमंदों को दान-पुण्य करने से राहु और केतु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है. राहु और केतु के लिए विशेष मंत्रों का जाप करने से उनके नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है. ज्योतिषी की सलाह से राहु और केतु के लिए उपयुक्त रत्न धारण करने से उनके नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है.
राहु और केतु छाया ग्रह हैं, और इनका कोई भौतिक रूप नहीं है. राहु और केतु को क्रमशः उत्तरी और दक्षिणी चंद्र नोड्स के रूप में जाना जाता है. ये हमेशा 180 डिग्री एक दूसरे के विपरीत होते हैं. इन्हें क्रमशः सिर और पूंछ के रूप में जाना जाता है. राहु और केतु को कालसर्प योग और पितृ दोष का कारण माना जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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Source : News Nation Bureau