Advertisment

Garuda Puran: असमय मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या होता है? ये है अकाल मृत्यु का रहस्य

Garuda Puran: अकाल मृत्यु के भय से बड़ा भय कोई नहीं है. अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु अकाल हो जाती है तो उसके बाद उसकी आत्मा का क्या होता है उस बारे में पुराणों में बताया गया है.

author-image
Inna Khosla
New Update
What happens to the soul after untimely death

What happens to the soul after untimely death

Advertisment

Garuda Puran: भारतीय सनातन धर्म और पौराणिक ग्रंथों में आत्मा और मृत्यु के बारे में काफी कुछ बताया गया है. असमय मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है, इसे लेकर कई मान्यताएं और सिद्धांत हैं. असमय मृत्यु को अकाल मृत्यु भी कहा जाता है. जब व्यक्ति की मृत्यु प्राकृतिक उम्र या नियत समय से पहले हो जाती है. असमय मृत्यु को अप्राकृतिक घटनाओं, दुर्घटनाओं, हत्या, आत्महत्या या किसी गंभीर बीमारी के कारण माना जाता है. ऐसी स्थिति में आत्मा को अचानक शरीर छोड़ना पड़ता है, पुराणों के अनुसार इससे आत्मा एक प्रकार के भ्रम और पीड़ा में होती है. 

अकाल मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है? 

ऐसा माना जाता है कि असमय मृत्यु के बाद आत्मा को तुरंत मोक्ष नहीं मिलता. आत्मा अपने अधूरे कार्यों और इच्छाओं के कारण पृथ्वी पर भटक सकती है. असमय मृत्यु के कारण आत्मा में नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है. इसे शांत करने के लिए विशेष पूजा-पाठ और कर्मकांडों की आवश्यकता होती है.

सनातन धर्म के अनुसार, आत्मा अमर होती है और शरीर त्यागने के बाद अपने कर्मों के आधार पर अगले जन्म की ओर अग्रसर होती है. लेकिन असमय मृत्यु के मामले में आत्मा का यात्रा मार्ग बाधित हो सकता है. 

गरुड़ पुराण (Garuda Puran) के अनुसार, असमय मृत्यु वाली आत्माएं अक्सर "प्रेत योनि" में चली जाती हैं. यह स्थिति तब तक बनी रहती है जब तक उनके लिए उचित श्राद्ध कर्म और तर्पण न किया जाए. अगर आत्मा की इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं, तो उसे नए जन्म के लिए इंतजार करना पड़ता है. मोक्ष प्राप्ति के लिए आत्मा को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है.

असमय मृत्यु के बाद आत्मा को शांति देने के उपाय

आत्मा की शांति के लिए पवित्र श्राद्ध कर्म और तर्पण करना आवश्यक है. गंगा जल, पवित्र धूप और मंत्रों का प्रयोग आत्मा को शांति देने में सहायक होता है. 

भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप असमय मृत्यु वाली आत्मा को शांति प्रदान करता है.

पिंडदान से आत्मा को स्वर्ग लोक या अगले जन्म की ओर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त होता है.

परिवार के सदस्य नियमित रूप से प्रार्थना और ध्यान करके आत्मा के लिए शुभकामनाएं भेज सकते हैं.

असमय मृत्यु के बाद आत्मा का अनुभव भले ही कठिन हो, लेकिन यह ब्रह्मांडीय नियमों का हिस्सा है. आत्मा को इस स्थिति से निकालने के लिए परिवार और समाज का सहयोग आवश्यक होता है. असमय मृत्यु के बाद आत्मा के साथ जो होता है, वह आत्मा के कर्मों, इच्छाओं और पारिवारिक क्रियाओं पर निर्भर करता है. आत्मा को शांति देने और उसे आगे बढ़ने का मार्ग दिखाने के लिए सही धार्मिक और आध्यात्मिक उपाय करना अत्यंत आवश्यक है. आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करना ही परिवार का सबसे बड़ा दायित्व होता है.

Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Religion News in Hindi garud puran sanatan dharm Garud Puran gyan garud purana
Advertisment
Advertisment
Advertisment