Bhisma Dwadashi 2024: क्या हैं भीष्म द्वादशी और ये कब मनाई जाती हैं , इस व्रत को करने से क्या लाभ मिलता हैं ?

Bhisma Dwadashi 2024: भीष्म द्वादशी भारतीय हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो माघ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है. यह त्योहार भगवान भीष्म को समर्पित होता है,जो महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे.

author-image
Inna Khosla
New Update
Bhisma Dwadashi 2024

Bhisma Dwadashi 2024:( Photo Credit : News Nation )

Advertisment
Bhisma Dwadashi 2024:
क्या हैं भीष्म द्वादशी और ये कब मनाई जाती हैं? 
भीष्म द्वादशी भारतीय हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो माघ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है. यह त्योहार भगवान भीष्म को समर्पित होता है, जो महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे. भीष्म द्वादशी के दिन भक्त भगवान भीष्म का आदर्श जीवन और उनके धर्मपरायण चरित्र को याद करते हैं. उन्होंने अपने पिता के आदेश पर राज्य का उपासना किया और महाभारत के युद्ध के समय भी धर्म की पालना की. भीष्म द्वादशी के दिन भक्त भगवान भीष्म की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और भीष्म जयंती के उपायों को सम्पन्न करते हैं.

हिंदू कैलेंडर में, भीष्म द्वादशी मंगलवार, 20 फरवरी 2024 को पड़ती है. यह दिन विशेष है क्योंकि यह एकादशी तिथि का पालन करता है और पूरे दिन रहता है. भीष्म द्वादशी मंगलवार को मान्य मानी गई है क्योंकि यह 20 फरवरी की रात 9.55 बजे के बाद शुरू होगी.

 
कौन थे महाभारत के भीष्म पितामह ?
 
महाभारत के भीष्म पितामह थे राजा शांतनु और गंगा के पुत्र थे. उनके असली नाम देवव्रत था, जिन्होंने अपने पिता के लिए राजा शांतनु के साथ उनकी संतान के सुख के लिए अपने विवाह का व्रत लिया था. उन्हें भीष्म के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है 'अदम्य और अथक'. भीष्म पितामह महाभारत के एक प्रमुख पात्र थे और उनके धर्म का पालन महत्वपूर्ण हिस्सा था. उन्होंने अपने जीवन के अंत तक कौरवों के पक्ष का समर्थन किया.
महाभारत से इसका क्या नाता हैं ?
महाभारत में, भीष्म द्वादशी भगवान भीष्म के श्राप संबंधित है. भगवान भीष्म ने अपने बेटे, चक्रवर्ती किंग शांतनु के लिए राज ग्रहण के बाद उनके सुख के लिए श्राप दिया था. उन्होंने शांतनु के बेटों की खुशी के लिए अपने अपने सुख को त्याग दिया था, जिससे उन्हें इस अवस्था में मृत्यु के लिए बाधाएं होती थीं. यही कारण है कि उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान अपने बेटे धृतराष्ट्र का समर्थन किया और उनके पक्ष में लड़ने का निर्देश दिया. भीष्म द्वादशी का त्योहार भी भगवान भीष्म को समर्पित है, और यह उनके प्रति श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है.
 
भीष्म द्वादशी करने से क्या लाभ होता हैं ?
 
भीष्म द्वादशी का विशेष महत्व है, और इसके कई धार्मिक और सामाजिक लाभ होते हैं. भगवान भीष्म की पूजा और आराधना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.
इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश होता है और शुभ कार्यों के लिए संतोषजनक परिणाम मिलता है. इस दिन की पूजा से रोगों का नाश होता है और शरीर की रोगमुक्ति मिलती है. भीष्म द्वादशी के दिन श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है और उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन दान-पुण्य करने से धन, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है.

Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप visit करें newsnationtv.com/religion

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

Religion News in Hindi Religion News Religion रिलिजन न्यूज . Shukla Paksha Pandavas Magha Shukla Dwadashi MonthDwadashi TithiBhishma Dwadashi 2024 Date and Time Bhishma Dwadashi
Advertisment
Advertisment
Advertisment