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Holashtak 2024: सनातन धर्म में क्या है होलाष्टक पूजा का महत्व, जानें ये पौराणिक कथा

होलाष्टक एक पवित्र त्योहार है जो हिन्दू धर्म में मनाया जाता है। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष होली के पूर्व विभिन्न भागों में समयानुसार मनाया जाता है

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Kalpana Sheetal
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Holashtak pooja

Holashtak pooja( Photo Credit : Social Media)

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होलाष्टक पूजा का महत्व: सनातन धर्म में होली त्योहार का बहुत महत्व है। यह प्रमुख हिन्दू त्योहारों में से एक है और इसे पूरे देश में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। होली का महत्व विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से होता है। इसे भगवान कृष्ण की बाल लीला के अवसर पर भी मनाया जाता है, जब वह गोकुल में रहते हुए गोपियों के साथ खेलते थे। होली का महत्व अनेक धार्मिक कथाओं और पुराणों से भी जुड़ा हुआ है। इस त्योहार के दौरान लोग एक-दूसरे के साथ खुशियों का आनंद लेते हैं, रंग-बिरंगे गुलाल फेकते हैं, और मिठाईयों का सेवन करते हैं। होली का महत्व यह भी है कि यह फसलों की अच्छी पूर्ति और अच्छे मौसम का प्रतीक होता है, जिससे लोग खुशियों में भाग लेते हैं और आपसी सद्भावना का पालन करते हैं।

बड़ा पवित्र है ये त्योहार
होलाष्टक एक पवित्र त्योहार है जो हिन्दू धर्म में मनाया जाता है। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष होली के पूर्व विभिन्न भागों में समयानुसार मनाया जाता है। इसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है जैसे होलाष्टक, होलाष्टक पूजा, होलिका दहन आदि। यह त्योहार हिन्दू पंचांग के फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होलाष्टक का मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु और भगवान लक्ष्मी की पूजा और उनकी कृपा को प्राप्त करना है। इस दिन लोग विभिन्न प्रकार की पूजा, अर्चना, और धार्मिक क्रियाएं करते हैं। इसके अलावा, लोग आपस में मिलकर होली के त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं।

होली की कथा अनेक पुराणों और कथाओं में प्रमुखतः दो कथाओं के आधार पर प्रसिद्ध है।

होलिका दहन की कथा:
इस कथा के अनुसार, असुर राजा हिरण्यकश्यपु का भक्त पुत्र प्रह्लाद था। हिरण्यकश्यपु की बहन होलिका उसके शिक्षाप्रिय पुत्र को मारने का प्रयास करती है, लेकिन वह अपने अहंकार में फंस जाती है। भगवान की कृपा से, प्रह्लाद के भक्ति ने उसे सुरक्षित रखा। होलिका, जो अस्त्र-शस्त्र का उपयोग करते हुए प्रह्लाद को आग में फेंकती है, लेकिन वह अपने पापों के कारण खुद ही जल जाती है। इस कथा के अनुसार, होली को होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है, जिससे लोग असत्य और अन्याय के प्रति सत्य और न्याय की जीत का संदेश स्वीकार करते हैं।

रासलीला की कथा:
भगवान कृष्ण के बाल लीलाओं में एक कथा के अनुसार, वे गोकुल में रहते हुए गोपियों के साथ होली खेलते थे। इस रंग-बिरंगे खेल को रासलीला कहा जाता है। इस कथा के अनुसार, होली का त्योहार रासलीला के समय मनाया जाता है, जब गोपियां और गोप भगवान के अद्भुत लीलाओं का आनंद लेते हैं और उनके संग रंग-बिरंगे खेलते हैं।

ये कथाएं होली के महत्व को समझाती हैं और लोगों को इस उत्सव के महत्व को समझने में मदद करती हैं।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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