Muharram 2023 Date: सोने और चांदी से तैयार हुआ पर्दा-ए-का'बा, कीमत जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

Parda-E-Kaaba: इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों के लिए काबा का पर्दा बदलना बड़ी खबर है. 20 जुलाई से मुहर्रम का महीना शुरु हो रहा है. काबा में पर्दा भी बदलने का नियम इसी समय होता है. तो आइए जानते हैं साल 2023 के पर्दा-ए-काबा की क्या खासियत है.

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Inna Khosla
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Parda-E-Kaaba( Photo Credit : Social Media)

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Muharram 2023 Date: मुहर्रम के पहले दिन पर्दा-ए-का'बा बदला जाता है. इस पर्दे की खासियत क्या है और इस साल इस पर्दे को कितने किलो सोने और कितने किलो चांदी से तैयार किया गया है ये हम आपको बता रहे हैं. लेकिन उससे पहले जो लोग ये नहीं जानते उन्हें ये बता दें कि जब आप हज यात्रा के लिए साऊदी अरब जाते हैं मक्का शहर में ही काबा से होकर गुजरते हैं. इस्लाम धर्म में काबा को इबादत की इमारत भी कहा जाता है. दुनियाभर के मुस्लिम काबा की ओर मुंह करते ही नमाज अदा करते हैं. इस्लाम धर्म की सबसे पवित्र स्थलों में से एक काबा तीन स्तंभो पर टिका है इसके अंदर आपको चांदी और सोने के लैंप देखने को मिलेंगे लेकिन सालभर में ज्यादातर समय ये काले पर्दे से ढका होता है और इस पर्दे को पर्दा-ए-का'बा कहा जाता है जिसे हर साल बदलने का नियम है. साल 2023 में काबा का पर्दा बदला जा चुका है और अब हम आपको इसकी खासियत बता रहे हैं. 

साल 2023 के पर्दा-ए-का'बा की खासियत 

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"किस्वा" नाम के कारखाने में तैयार हुए पर्दा-ए-का'बा को इस साल 120 किलो सोने और 100 किलो चांदी से तैयार किया गया है. पर्दे में इस्तेमाल होने वाले कपड़े के लिए 670 किलोग्राम सफेद रेशम का धागा आयात किया जाता है जिसे बाद में काले रंग से रंगा जाता है. इसके बाद जैक्वार्ड मशीनें काले धागे को सादे या पैटर्न वाले कपड़े में बुनती हैं. जिससे पहले काला पर्दा तैयार करते हैं फिर इस पर्दे पर पवित्र कुरान की आयतों को एक सुंदर लिपि में और दिलचस्प तरीके से सोने और चांदी के धागे से बुना जाता है. रिपोर्ट्स की मानें तो पर्दा-ए-काबा तैयार करने के लिए 3.4 मिलियन डॉलर का खर्चा आता है. इसे 200 से अधिक कारीगर कई महीनों तक लगातार काम करके तैयार करते हैं. 

साल 2023 में 20 जुलाई से शुरु होने वाले मुहर्रम के पवित्र महीने में लोग यहां जाते हैं. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम के साथ ही नए साल की शुरुआत भी होती है. इसलिए सभी मुस्लिम समुदाय के लोग इस समय का सालभर इंतज़ार करते हैं. काबा के दरवाजे साल में दो बार खुलते हैं. एक बार हज से 30 दिन पहले और एक बार रमजान से 30 दिन पहले.

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