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Kalashtami ki Tithi: क्या है कालाष्टमी? जानें हिंदु धर्म में क्या है इसका महत्व ?

Kalashtami ki Tithi: कालाष्टमी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है जो हर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है. इस दिन भक्त भगवान शिव और देवी काली की पूजा करते हैं और उन्हें विशेष उपासना और पूजा की जाती है.

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Inna Khosla
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What is Kalashtamiand and its Tithi

What is Kalashtamiand its Tithi( Photo Credit : news nation)

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Kalashtami ki Tithi: हिंदू धर्म में कालाष्टमी एक महत्वपूर्ण तिथि है जो हर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आती है. यह तिथि भगवान शिव और देवी काली की पूजा के लिए विशेष महत्व रखती है. कालाष्टमी के दिन भक्त भगवान शिव और देवी काली की आराधना करते हैं और उन्हें विशेष उपासना और पूजा की जाती है. इस दिन कई लोग व्रत रखते हैं और शिव मंत्रों का जाप करते हैं. इसके अलावा, कालाष्टमी के दिन भक्त भगवान शिव के मंदिर जाते हैं और उन्हें अर्चना और पूजा करते हैं. हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है. यह व्रत हर महीने में दो बार, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है. 

2024 में कालाष्टमी की तिथि?

1. चैत्र मास की कालाष्टमी: 1 अप्रैल, शनिवार
2. वैशाख मास की कालाष्टमी: 30 अप्रैल, सोमवार
3. ज्येष्ठ मास की कालाष्टमी: 29 मई, बुधवार
4. आषाढ़ मास की कालाष्टमी: 28 जून, शुक्रवार
5. श्रावण मास की कालाष्टमी: 27 जुलाई, शनिवार
6. भाद्रपद मास की कालाष्टमी: 25 अगस्त, रविवार
7. आश्वयुज मास की कालाष्टमी: 24 सितंबर, मंगलवार
8. कार्तिक मास की कालाष्टमी: 23 अक्टूबर, बुधवार
9. मार्गशीर्ष मास की कालाष्टमी: 22 नवंबर, शुक्रवार

कालाष्टमी का महत्व:

भगवान शिव का क्रोध शांत करने का दिन:  मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का क्रोध शांत होता है और वे भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
काल भैरव की पूजा का दिन:  कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा भी की जाती है. भगवान काल भैरव भगवान शिव के उग्र रूप हैं और वे नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करते हैं.
मोक्ष प्राप्ति का दिन:  कालाष्टमी व्रत रखने से मोक्ष प्राप्ति की भी संभावना होती है.
पापों से मुक्ति का दिन:  कालाष्टमी व्रत रखने से मनुष्य को अपने पापों से मुक्ति मिलती है.
मनोकामनाओं की पूर्ति का दिन:  कालाष्टमी व्रत रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

कालाष्टमी व्रत की पूजा विधि:

  • सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
  • पूजा स्थान को साफ करके वहां भगवान शिव और देवी पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें.
  • दीप प्रज्वलित करें और धूप-दीप से भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करें.
  • कालाष्टमी व्रत कथा का पाठ करें.
  • ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जप करें.
  • भगवान शिव और देवी पार्वती को फल, फूल और मिठाई का भोग लगाएं.
  • शाम को प्रदोष काल में फिर से पूजा करें और आरती करें.
  • अगले दिन सुबह स्नान करके व्रत का पारण करें.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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