Chhath Puja Second Day: छठ महापर्व के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. यह दिन खास होता है और इसे बहुत ही शुद्धता और नियमों के साथ मनाया जाता है. खरना (what is kharna) का अर्थ होता है 'शुद्धि' और इस दिन उपासक निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को भगवान सूर्य की आराधना कर प्रसाद ग्रहण करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस दिन छठी मईया का घर आंगन में आगमन होता है और जो भी व्रतधारी होती हैं वो 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य देव को जल अर्पित किया जात है.
छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.
खरना के दिन क्या करते हैं
उपासक इस दिन सुबह से निर्जला उपवास करते हैं और दिनभर अन्न, पानी से दूर रहते हैं. इस व्रत में कठोर नियमों का पालन करना होता है. शाम को उपासक स्नान करके पूजा की तैयारी करते हैं और भगवान सूर्य की विशेष पूजा करते हैं. पूजा के दौरान गन्ना, ठेकुआ, चावल, गुड़ और दूध से बनी खीर का प्रसाद तैयार किया जाता है. खरना की पूजा के बाद, व्रतियों द्वारा बनाई गई खीर और रोटी को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. इसे घर के सभी लोग मिलकर खाते हैं. खरना के प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रती अगले दो दिनों तक निराहार और निर्जला व्रत करते हैं.
इस दिन क्या नहीं करना चाहिए
खरना के दिन शुद्धता का ज्यादा ध्यान रखा जाता है. व्रत करने वाले और उनके परिवार को हर प्रकार की पवित्रता और स्वच्छता का पालन करना चाहिए. इस पूरे महापर्व में लहसुन-प्याज का प्रयोग नहीं किया जाता है. इस दिन केवल सात्विक भोजन का ही प्रसाद बनाना और खाना चाहिए. छठ महापर्व के दौरान अनुशासन बहुत आवश्यक होता है. इस दिन शोर-शराबा, मांसाहार, नशीले पदार्थों का सेवन और किसी भी प्रकार की अनुचित गतिविधि से दूर रहना चाहिए. पूजा से लेकर प्रसाद बनाने तक का सारा काम व्रती खुद करते हैं. इसलिए किसी और से सहायता लेना वर्जित माना गया है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)