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Dharma According To Ramayana: रामायण के अनुसार धर्म क्या है? जानें इसकी खासियत

Dharma According To Ramayana: रामायण के बारे में हम बचपन से सुनते आए हैं. ये महाकाव्य घर-घर में पढ़ा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं रामायण के अनुसार धर्म क्या है?

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Inna Khosla
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what is religion according to ramayana

Dharma According To Ramayana( Photo Credit : News Nation)

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Dharma According To Ramayana: रामायण संस्कृत का एक महाकाव्य है, जिसे महर्षि वाल्मीकि ने रचा था. हिंदू धर्म के दो महान महाकाव्यों में से एक है, दूसरा महाभारत है. रामायण भगवान राम की जीवन गाथा है, जिन्हें भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है. रामायण की कहानी अयोध्या के राजा दशरथ के चार पुत्रों में से सबसे बड़े, भगवान राम के वनवास से शुरू होती है. उनकी सौतेली माँ कैकेयी अपने पुत्र भरत को राजगद्दी दिलवाना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने राजा दशरथ से दो वचन मांगे. पहले वचन के अनुसार, भरत को चौदह वर्षों के लिए राजगद्दी मिलनी थी. दूसरे वचन के अनुसार, भगवान राम को चौदह वर्षों के लिए वनवास जाना था. राजा दशरथ अपने वचनों से बँधे थे, इसलिए उन्हें भगवान राम को वनवास भेजना पड़ा. भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास चले गए. 

वनवास में, रावण नामक एक राक्षस ने सीता का अपहरण कर लिया. भगवान राम ने रावण से युद्ध किया और सीता को मुक्त कराया. इसके बाद वे अयोध्या लौटे और राजगद्दी संभाली. रामायण केवल एक कहानी नहीं है, बल्कि यह जीवन के कई मूल्यों और नीतियों को सिखाती है. यह हमें सत्य, धर्म, कर्तव्य, प्रेम, त्याग और बलिदान के महत्व के बारे में सिखाती है. रामायण भारत और दुनिया भर के हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है.

रामायण के अनुसार क्या है धर्म ?

मर्यादा पुरुषोत्तम राम

भगवान राम को धर्म का अवतार माना जाता है. वे सदैव सत्यवादी, न्यायप्रिय, दयालु और कर्तव्यनिष्ठ रहते हैं. वे अपने वचनों का पालन करते हैं, चाहे परिणाम कुछ भी हो. वे अपने परिवार और प्रजा के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं. वे शत्रुओं के प्रति भी दयालु रहते हैं. 

कर्मयोग

रामायण में कर्मयोग को धर्म का महत्वपूर्ण पहलू बताया गया है. इसका अर्थ है कि अपने कर्तव्यों का पालन करना, फल की चिंता किए बिना. भगवान राम कर्मयोग के उत्तम उदाहरण हैं. वे वनवास जैसे कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं.

त्याग

त्याग को भी धर्म का महत्वपूर्ण गुण माना जाता है. इसका अर्थ है कि अपनी इच्छाओं और सुखों का त्याग करना और दूसरों के लिए अपने आप को समर्पित करना. भगवान राम त्याग के प्रतीक हैं. वे राजसी सुखों का त्याग करके वनवास जाते हैं अपनी माता कैकेयी के वचन को पूरा करने के लिए.

नीति

नीति का अर्थ है सही और गलत के बीच अंतर करना. रामायण में नीति को धर्म का अनिवार्य अंग माना जाता है. भगवान राम सदैव नीति के मार्ग पर चलते हैं. वे सभी परिस्थितियों में सही निर्णय लेते हैं. 

समाज कल्याण

रामायण में धर्म का अर्थ केवल व्यक्तिगत उद्धार तक सीमित नहीं है. इसका अर्थ समाज के कल्याण के लिए काम करना भी है. भगवान राम अपने जीवन का लक्ष्य लोगों की सेवा करना और उन्हें दुखों से मुक्ति दिलाना बनाते हैं. 

रामायण के अनुसार, धर्म का अर्थ केवल आध्यात्मिकता नहीं है, बल्कि यह व्यक्तिगत आचरण, सामाजिक कर्तव्य और नैतिक मूल्यों का सम्मिश्रण है. यह सत्यवादिता, न्यायप्रियता, दया, कर्तव्यनिष्ठा, त्याग, नीति और समाज कल्याण जैसे गुणों को बढ़ावा देता है. रामायण हमें सिखाती है कि धर्म का अनुसरण करके हम एक बेहतर जीवन जी सकते हैं और समाज को एक बेहतर जगह बना सकते हैं.

Source : News Nation Bureau

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