What is Religion: धर्म एक व्यक्ति या समुदाय के जीवन में नैतिक मूल्यों, आदर्शों, और आचारधर्मों का समूह है. यह एक व्यक्ति को अच्छे और बुरे कर्मों की ओर प्रेरित करने में मार्गदर्शन करता है और उसे समाज में सही और उचित रूप से बर्ताव करने की शिक्षा देता है. धर्म की अनेक परंपराएं और सिद्धांत होते हैं जो विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक, और सामाजिक समृद्धियों के अनुसार बनते हैं. यह व्यक्ति को उच्चतम आदर्शों की प्राप्ति की दिशा में मार्गदर्शन करता है और उसे जीवन को सार्थक बनाने के लिए प्रेरित करता है. सनातन धर्म, भारतीय सभ्यता और धार्मिक तात्कालिकताओं का एक प्रमुख धार्मिक परंपरा है. इसे 'सनातन' यानी 'शाश्वत' धर्म कहा जाता है.
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सनातन धर्म एक काल में आरंभ नहीं हुआ था और न ही इसका कोई निर्दिष्ट संस्थापक है. सनातन धर्म का मौद्रिक रूप से अर्थ है 'शाश्वत' या 'अनन्त' धर्म. यह विविधता में अमूर्त ब्रह्म, ईश्वर या परमात्मा में विश्वास करता है और जीवन को धार्मिक, नैतिक, और आध्यात्मिक सिद्धांतों के अनुसार जीने की शिक्षा देता है. सनातन धर्म में मोक्ष की प्राप्ति और आत्मा का सर्वांतर्यामित्व महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं. वेद, उपनिषद, स्मृति, पुराण, और भगवद गीता जैसे धार्मिक ग्रंथ सनातन धर्म की प्रमुख स्रोत हैं. यह अनेक देवी-देवताओं की पूजा, यज्ञ, तप, और साधना के माध्यम से आध्यात्मिक प्रगति को प्रोत्साहित करता है. सनातन धर्म ने भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आज भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक समृद्धि का स्रोत है.
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ब्रह्म का अनुसरण: सनातन धर्म में एक अद्वितीय और अनंत ब्रह्म का आदर किया जाता है, जिसे ईश्वर या परमात्मा के रूप में समझा जाता है.
कर्मयोग और भक्तियोग: सनातन धर्म में कर्मयोग (कर्म करने का योग) और भक्तियोग (भगवान में भक्ति का योग) को महत्वपूर्ण साधना माना जाता है.
संस्कृत शास्त्रों का महत्व: सनातन धर्म में वेद, उपनिषद, स्मृति, पुराण, और भगवद गीता जैसे संस्कृत ग्रंथों को महत्वपूर्ण माना जाता है. सनातन धर्म में वेदों को प्रमुख स्रोत माना जाता है. वेद धर्म के आधार हैं और उनमें आध्यात्मिक ज्ञान का बहुत भारी संग्रह है.
धार्मिक आचरण और आराधना: सनातन धर्म में पूजा, यज्ञ, तप, और साधना के माध्यम से धार्मिक आचरण को महत्व दिया जाता है.
संसार-चक्र और मोक्ष: जीवात्मा का संसार-चक्र में पुनर्जन्म का निर्दिष्टांकन होता है, और मोक्ष का प्राप्ति उच्चतम लक्ष्य माना जाता है.
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धर्मरक्षा: सनातन धर्म में धर्मरक्षा का उल्लेख है और यह धर्म, समाज, और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानता है.
वर्णाश्रम व्यवस्था: सनातन धर्म में वर्णाश्रम व्यवस्था का पालन किया जाता है, जिसमें वर्ण (जाति) और आश्रम (जीवन के विभिन्न चरण) होते हैं.
अहिंसा और सहिष्णुता: सनातन धर्म में अहिंसा (हिंसा से दूर रहना) और सहिष्णुता (सहनशीलता) को महत्वपूर्ण सिद्धांतों में शामिल किया गया है.
गौरक्षा: सनातन धर्म में गौ माता की पूजा और गौरक्षा को महत्वपूर्ण माना जाता है.
धर्मिक सम्प्रदाय और आचार्य परंपरा: सनातन धर्म में विभिन्न धार्मिक सम्प्रदायों और आचार्य परंपराओं का आदर किया जाता है, जो धार्मिक शिक्षा और सनातन धर्म में सामाजिक न्याय और धर्मिक शिक्षा के माध्यम से समाज में न्याय और समरसता की स्थापना का प्रयास किया जाता है.
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Source : News Nation Bureau