Sanatan Dharm: सनातन धर्म एक प्राचीन और अनंत धार्मिक परंपरा है जो भारतीय सभ्यता का हिस्सा है. यह एक अत्यन्त व्यापक धार्मिक सिद्धांत है जिसमें भूत, भविष्य और वर्तमान सभी क्षेत्रों को समाहित किया गया है. सनातन धर्म में 'सच्चा सनातनी' कौन होता है इस बात पर भी लोग काफी चर्चा करतेहैं. वह व्यक्ति है जो सनातन धर्म के धार्मिक सिद्धांतों का पालन करता है और उन्हें अपने जीवन में अमल में लाता है. एक सच्चा सनातनी होता है. इसके अलावा सनातन धर्म क्या है और हिंदू धर्म को मानने वाले सभी लोग सनातन धर्म का पालन क्यों करते हैं या उन्हें क्यों करना चाहिए आइए जानते हैं.
मुख्य सिद्धांत:
धर्मशास्त्र एवं श्रुति ग्रंथों का पालन: सनातन धर्म में वेद, उपनिषद, स्मृति, पुराण आदि वेदांत शास्त्रों के पालन को महत्वपूर्ण माना जाता है.
संस्कृति और समृद्धि की प्राथमिकता: सनातन धर्म में संस्कृति और समृद्धि को बढ़ावा देने का सिद्धांत है, जिसमें सामाजिक एकता और सहिष्णुता का पूरा आदान-प्रदान है.
मोक्ष की प्राप्ति: सनातन धर्म में मोक्ष को मुक्ति की सर्वोच्च स्थिति माना जाता है, जो आत्मा को ब्रह्म से मिलाती है.
मूल तत्व:
धर्मशास्त्र: वेद, स्मृति, उपनिषद, पुराण, गीता, आदि धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन एवं अनुसरण के माध्यम से धर्मीय जीवन की मार्गदर्शिका है.
कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग: भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए इन तीन योगों का अनुसरण करना सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है.
समाज और समृद्धि: वर्णाश्रम व्यवस्था: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र—इन चार वर्णों के अनुसार समृद्धि की दिशा में कार्य करने का सिद्धांत है.
पितृपूजा और गुरु-शिष्य परम्परा: पितृपूजा और गुरु-शिष्य परम्परा को महत्वपूर्ण मानते हुए समाज को सजीव, सहिष्णु, और सत्य परायण बनाए रखने का प्रयास किया जाता है.
सनातन धर्म एक विशेष भाषा, सांस्कृतिक विरासत, और आध्यात्मिक दृष्टिकोण का संगम है जो मानवता को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है. इसमें सत्य, धर्म, और प्रेम की महत्वपूर्ण बातें हैं जो जीवन को संपूर्णता की दिशा में प्रवृत्ति करती हैं.
असली सनातनी कौन है?
श्रद्धा और आस्था: उनमें अत्यंत श्रद्धा और आस्था होती है अपने धर्मिक मूल्यों और देवताओं में.
ध्यान और साधना: वे नियमित रूप से ध्यान और साधना का पालन करते हैं, जो उनके आत्मिक विकास को प्रोत्साहित करता है.
कर्मयोग: सच्चे सनातनी कर्मयोगी होते हैं जो अपने कर्मों में आसक्ति छोड़ते हैं और निष्काम कर्म का पालन करते हैं.
समर्थ और सजीव शैली: उनमें आत्मनिर्भरता, सहनशीलता और सजीव शैली की भावना होती है.
समाज में सेवा: सच्चे सनातनी समाज में सेवा का भाव बनाए रखते हैं और सभी को एक समान दृष्टिकोण से देखते हैं.
विद्या और आदर्शों का पालन: उनमें विद्या के प्रति प्रेम होता है और वे आदर्शों का पालन करने का प्रयास करते हैं.
सहजता और सहिष्णुता: सच्चे सनातनी व्यक्ति सहजता के साथ जीते हैं और वे सहिष्णुता की भावना में रहते हैं.
सच्चा सनातनी व्यक्ति अपने जीवन को धर्म, नैतिकता, और सेवा के माध्यम से महत्वपूर्ण बनाता है और अपने आसपास के समाज में सकारात्मक परिवर्तन का हिस्सा बनता है.
Source : News Nation Bureau