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Sanatan Dharma: सनातन धर्म क्या है, जानें इसका सदियों पुराना इतिहास

Sanatan Dharma: सनातन धर्म का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसका प्रारंभिक इतिहास अत्यंत विविध है. इसके अनुसार, सनातन धर्म भारतीय उपमहाद्वीप में समय के साथ विकसित हुआ और प्राचीन सिंधु-सरस्वती सभ्यता से जुड़ा है.

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Inna Khosla
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What is Sanatan Dharma know its centuries old history

Sanatan Dharma( Photo Credit : News Nation )

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Sanatan Dharma: सनातन धर्म का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसका प्रारंभिक इतिहास अत्यंत विविध है. इसके अनुसार, सनातन धर्म भारतीय उपमहाद्वीप में समय के साथ विकसित हुआ और प्राचीन सिंधु-सरस्वती सभ्यता से जुड़ा है. इसके विचारधारा, प्रथाओं, और आचार-अनुष्ठानों का इतिहास वेदों, उपनिषदों, पुराणों, महाभारत, और रामायण जैसे प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में उपलब्ध है. वेदों का समय लगभग 1500 ईसा पूर्व से लेकर 500 ईसापूर्व तक माना जाता है, जबकि उपनिषदों का समय 800 ईसा पूर्व से 500 ईसापूर्व तक का है. सनातन धर्म का इतिहास विविधताओं और विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं के साथ जुड़ा हुआ है. इसमें विभिन्न धार्मिक संप्रदायों, जैसे वैष्णव, शैव, शाक्त, आदि का विकास और प्रचलन शामिल है. इसके साथ ही, सनातन धर्म के इतिहास में धार्मिक और सामाजिक बदलाव, धार्मिक धारणाओं के विकास, और आध्यात्मिक गुरुओं का योगदान भी शामिल है. सनातन धर्म के इतिहास में भारतीय समाज और संस्कृति के विविध पहलुओं का अध्ययन करने से हमें इसे समझने में मदद मिलती है, जो आज भी भारतीय समाज के जीवन में गहरे प्रभाव का प्रतीत होता है.

सनातन धर्म का इतिहास: सनातन धर्म, जिसे हिंदू धर्म भी कहा जाता है, दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है. इसकी शुरुआत कब हुई, इस बात पर इतिहासकारों में मतभेद है. कुछ का मानना ​​है कि यह सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1300 ईसा पूर्व) के समय से मौजूद है, जबकि अन्य का मानना ​​है कि यह इससे भी पुराना है. सनातन धर्म का इतिहास कई कालखंडों में विभाजित किया जा सकता है:

1. वैदिक काल (1500-500 ईसा पूर्व): इस काल में वेदों की रचना हुई, जो सनातन धर्म के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं. वेदों में कर्म, पुनर्जन्म, मोक्ष जैसी अवधारणाओं का उल्लेख है.

2. उत्तर वैदिक काल (500 ईसा पूर्व - 500 ईस्वी): इस काल में उपनिषदों की रचना हुई, जो वेदों का सार हैं. उपनिषदों में आत्मा, ब्रह्म और मोक्ष जैसे विषयों पर गहन विचार किया गया है.

3. महाकाव्यों का काल (500 ईसा पूर्व - 500 ईस्वी): इस काल में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों की रचना हुई. ये महाकाव्य सनातन धर्म के मूल्यों और शिक्षाओं को दर्शाते हैं.

4. गुप्त काल (320-550 ईस्वी): इस काल को भारत का स्वर्ण युग माना जाता है. इस काल में कला, संस्कृति, विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति हुई.

5. मध्यकाल (500-1500 ईस्वी): इस काल में भारत पर अनेक विदेशी आक्रमण हुए. इस काल में भक्ति आंदोलन का उदय हुआ, जिसने सनातन धर्म को नया जीवन दिया.

6. आधुनिक काल (1500-वर्तमान): इस काल में भारत में अनेक सामाजिक और धार्मिक सुधार हुए. इस काल में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार दुनिया के अन्य देशों में भी हुआ.

सनातन धर्म एक जीवंत धर्म है जो सदैव विकसित होता रहा है. इस धर्म ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन यह आज भी दुनिया के सबसे लोकप्रिय धर्मों में से एक है. यह धर्म जीवन के सभी पहलुओं को शामिल करता है और मनुष्य को एक बेहतर जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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