Bilva Nimantran 2024: दुर्गा पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस पर्व पर मां दुर्गा की विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है. दुर्गा पूजा का त्योहार भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, लेकिन इसका मूल उद्देश्य मां दुर्गा की पूजा करना और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाना ही है. दुर्गा पूजा से पहले महालया मनाया जाता है. इस दिन मां दुर्गा का स्वागत किया जाता है. षष्ठी तिथि से दुर्गा पूजा शुरू होती है. इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. सप्तमी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है. नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. दशमी तिथि को विजयदशमी मनाई जाती है. इस दिन मां दुर्गा की विदाई की जाती है.
बिल्व निमन्त्रण का शुभ मुहूर्त (Bilva Nimantran Shubh Muhurat)
षष्ठी तिथि अक्टूबर 08, 2024 को 11:17 ए एम बजे से प्रारंभ हो रही है जो अक्टूबर 09 को 12:14 पी एम बजे तक रहेगी.
बिल्व निमन्त्रण मंगलवार, अक्टूबर 8, 2024 को ही है.
बिल्व निमन्त्रण मुहूर्त - 03:39 पी एम से 05:59 पी एम
बिल्व निमंत्रण: दुर्गा पूजा का शुभ आरंभ
बिल्व निमंत्रण दुर्गा पूजा से पहले किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. इसे काल प्रारंभ भी कहा जाता है. इस अनुष्ठान के माध्यम से मां दुर्गा को धूमधाम से आमंत्रित किया जाता है. बिल्व निमंत्रण के साथ ही मां दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं और नवरात्रि के नौ दिनों तक मां की पूजा की जाती है. शास्त्रों के अनुसार बिल्व पत्र को शिवजी का प्रिय माना जाता है और इसे मां दुर्गा को भी अर्पित किया जाता है. बिल्व पत्र पर विशेष मंत्रों का जाप करते हुए इसे जल में प्रवाहित करते हैं और इसके बाद घट स्थापना की जाती है. घट में जल, गंगाजल, रोली, चावल आदि भरा जाता है और इसे मां दुर्गा के रूप में पूजा जाता है. इस दिन मां दुर्गा की विधिवत पूजा की जाती है और उन्हें भोग लगाया जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)