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Ghatasthapana Shubh Muhurat: मिट्टी के कलश में ही क्यों करते है घटस्थापना, जानें नवरात्रि के पहले दिन पूजा का शुभ मुहूर्त

Ghatasthapana Shubh Muhurat: कल से मां दुर्गा के शारदीय नवरात्रों की शुरुआत हो रही है. नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है. मिट्टी के पात्र में ही घटस्थापना क्यों करते हैं और इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है आइए जानते हैं.

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Inna Khosla
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Ghatasthapana Shubh Muhurat

Ghatasthapana Shubh Muhurat

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Ghatasthapana Shubh Muhurat: दशहरा आने से पहले मां दु्र्गा के नौ दिन को नवरात्रों का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. पहले नवरात्रि के दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना की जाती है और फिर अगले 9 दिनों तक सच्चे दिल से भक्त मां की आराधना करते हैं. सुबह शाम पूजा पाठ में ध्यान लगाते हैं और उनकी कृपा पाते हैं. कहते महारानी की कृपा अगर एक बार किसी पर हो जाए तो फिर उसके जीवन के बड़े से बड़े कष्ट दूर होने में समय नहीं लगता. नवरात्रि के दौरान घट स्थापना का विशेष महत्व होता है. ये घटस्थापना मिट्टी से बने पात्र में ही क्यों की जाती है और शुभ मुहूर्त क्या है आइए जानते हैं. 

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त (Ghatasthapana 2024 Shubh Muhurat)

इस बार 3 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 21 मिनट तक का शुभ मुहूर्त है. अगर इस समय आप कलश स्थापना नहीं कर पाए, तो 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट के बीच का समय भी कलश स्थापना के लिए उत्तम है. 

मिट्टी के कलश का महत्व (Importance of clay pot)

ध्यान रहे कि मिट्टी के कलश का उपयोग करें, क्योंकि मिट्टी का कलश आपकी जिंदगी का प्रतीक है. कच्चा मिट्टी का कलश जल्दी गल जाता है, जबकि पक्का हुआ कलश पानी को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है. यह आपके जीवन को संकेत करता है कि जब तक आप जीवन में अनुभव नहीं प्राप्त करेंगे, परिस्थितियां आपके लिए कठिन हो सकती हैं. इसलिए आपको हमेशा धैर्य रखना चाहिए और जैसे पक्का घड़ा पानी को सुरक्षित रखता है, वैसे ही आप भी मां भगवती की पूजा करते हुए अपने जीवन को सुदृढ़ बना सकते हैं.

तो पहले नवरात्रि के दिन आप मिट्टी के कलश से ही घटस्थापना करें. जब मिट्टी का कलश कच्चा होता है और उसमें जल डालें तो उसका विलय हो जाता है लेकिन पके हुए घड़े में जल अधिक समय तक रहता है यह मिट्टी का कलश आपके जीवन में यह संकेत देता है कि जब-जब आप इस पूरे जीवन यापन में कच्चे स्थिति में रहेंगे अर्थात आपके अंदर अनुभव नहीं होगा तब आपको परिस्थितियां कहीं ना कहीं विलय कर देंगी. हमेशा परिस्थितियों के सुधार के लिए आप धैर्य रखें.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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