Lord Shiva and Hanuman Mythological Story: भगवान शिव को त्रिलोकों का देव कहा जाता है. देवों को देव महादेव की आराधना संसार में हर कोई करता है. देवतागण भी इनका पूजन करते हैं. हनुमान जी की कृपा के बारे में तो सब जानते हैं कि वो कितने बलशाली है, लेकिन क्या आप जानते हैं उन्हें ये बल कहीं और से नहीं बल्कि स्वयं भगवान शिव से ही मिला है. ये कहानी हनुमान जी के जन्म से जुड़ी है. हनुमान जी के जन्म लेने से पहले भगवान शिव कैसे माता अंजनी से मिले आइए सब जानते हैं.
हनुमान के जन्म की कहानी
राजा केसरी और माता अंजनी के पुत्र हनुमान का आदर सत्कार देवता लोक में भी होता है. लेकिन इनका जन्म कैसे हुआ ये कहानी शायद आप ना जानते हों. माता अंजनी और राजा केसरी विवाह के कई साल बाद भी संतान सुख से वंचित थे. उनकी ये समस्या और दुख अब बढ़ता ही जा रहा था. एक दिन वो ऋषि मतंग से मिले और उन्हें अपनी परेशानी बतायी.
ऋषि मतंग ने माता अंजनी से कहा कि वो 12 वर्षों तक भगवान शिव की कठोर तपस्या करें उपवास करें. माता अंजनी ने ऐसा ही किया
12 साल बाद जब उनकी ये तपस्या पूरी हुई तब ऋषि मतंद ने उन्हें माता अंजनी को आशीर्वाद दिया कि जल्द ही भगवान शिव स्वयं आशीर्वाद देने आएंगे.
माता अंजनी ये सुनकर बहुत खुश हुई. उन्होंने भगवान शिव के सत्कार की तैयारियां शुरु कर दी. उनके लिए 56 भोग बनाए. भगवान शिव दयालू हैं लेकिन वो अपने भक्तों की परीक्षा भी लेते हैं. एक दिन भगवान शिव भिक्षु के अवतार में माता अंजनी के पास पहुंचे. माता अंजनी ने आदर देते हुए उन्हें बिठाया और भोजन परोसा. लेकिन भिखारी इस बात से नाराज़ था कि उसे 56 भोग क्यों नहीं परोसा गया. उसने जब 56 भोग की इच्छा जताई तो माता अंजनी ने आग्रह किया कि ये उन्होंने भगवान शिव के लिए बनाए हैं. ये सुनकर भिखारी क्रोधित हो उठा और उन्हें भला बुरा कहने लगा.
भिखारी ने शिव भगवान के लिए अपशब्द कहे. माता अंजनी के लाख समझाने पर भी जब ये भिक्षु नहीं माना तो उन्होंने प्रेमपूर्वक उन्हें 56 भोग परोस दिए और उन्हे इसे ग्रहण करने का अनुरोध किया
भिखारी माता अंजनी की इस बात से बेहद प्रसन्न हुआ और भिक्षु ने भगवान शिव का रूप धारण कर लिया. भगवान शिव ने आशीर्वाद दिया कि एक रुद्रावतार हनुमान आपकी कोख से जन्म लेंगे. ये बच्चा वेदों शास्त्रों का महान ज्ञाता होगा. फिर कुछ समय बाद हनुमान जी ने माता अंजनी की कोख से जन्म लिया.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)