पुरानी फिल्मों में एक डॉयलॉग आम तौर पर यूज किया जाता था- किसी भी आदमी की पहचान उसके जूतों से होती है. वैसे भी आदमी कितना भी अच्छा कपड़ा पहन ले पर अगर उसके जूते ठीक नहीं हैं तो उसे कहीं भी महत्व नहीं मिलता. वास्तु शास्त्र कहता है कि मनुष्य द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली हर चीज का किसी न किसी ग्रह का ताल्लुकात होता है. काल पुरुष सिद्धांत कहता है कि व्यक्ति की कुंडली का आठवां भाव पैर के तलवों से संबंधित है. कुछ जूते दुर्भाग्य का सूचक होते हैं, जिनको पहनने से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक क्षेत्र में बाधाएं पैदा हो जाती हैं. ऐसे में कई काम बिगड़ जाते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि जूतों का क्या है वास्तु कनेक्शन.
वास्तुशास्त्र कहता है कि उपहार में मिले जूते नहीं पहनने चाहिए. इसे शनिदेव रुष्ट हो जाते हैं. साथ ही जूते उपहार में देने भी नहीं चाहिए. इसके अलावा चुराए हुए जूते नहीं पहनना चाहिए. जो लोग मंदिर से जूते चोरी करते हैं, वे अनजाने में अपने स्वास्थ्य और धन का विनाश कर रहे होते हैं. फटे जूते पहनकर नौकरी ढूंढने या महत्वपूर्ण काम पर न निकलें. इससे काम में असफलता हाथ लगनी तय मानिए. मेडिकल और लोहे के काम वाले लोगों को कभी भी सफेद जूते नहीं पहननी चाहिए.
ध्यान रखें कि जूते की पॉलिस और चमक हमेशा बनी रहे. यह आपके व्यक्तित्व का प्रभाव दूसरे लोगों पर छोड़ती है. बेडरूम में जूते रखने पर पति-पत्नी में लगाव कम होता चला जाता है. जो लोग बाहर से लौटकर घर में जूते-चप्पल-मोजे इधर-उधर फेंक देते हैं, उन्हें शत्रु परेशान करते हैं.
जूते पहनकर भोजन न करें, इससे धीरे-धीरे नकारात्मकता आ जाती है. घर में जूतों के लिए अलग स्थान रखें. मंदिर या रसोई में जूते-चप्पल पहनकर न जाएं. महिलाएं रसोई के लिए अलग से चप्पल या कपड़े के जूते प्रयोग कर सकती हैं. भगवान को भोग लगाते समय या किसी को खाना परोसते समय जूते न पहनें.
वास्तु के अनुसार, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम ,उत्तर-पश्चिम या पश्चिम दिशा में जूतों को रख सकते हैं. जतू-चप्पलों को रखने के लिए शू रैक बनवा लें और उसे ढककर रखें. जीने के कोने में बने शू रैक शुभ नहीं होते.
Source : News Nation Bureau