क्या है वैष्णो देवी में भैरो बाबा मंदिर का महत्व, जानें भैरव बाबा की पौराणिक कथा 

Bhairav ​​Baba Ki Pauranik Katha: भैरों बाबा की कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है. क्या आप जानते हैं कि माता वैष्णो देवी की यात्रा भैरों बाबा के दर्शन के बिना अधूरी क्यों मानी जाती है.

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Inna Khosla
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Bhairav ​​Baba Ki Pauranik Katha( Photo Credit : news nation)

Bhairav ​​Baba Ki Pauranik Katha: वैष्णो देवी की यात्रा करने वाले सभी श्रद्धालुओं से ये कहा जाता है कि भैरव बाबा के दर्शन किए बिना मनोकामना पूरी नहीं होती. उनकी ये धार्मिक यात्रा अधूरी मानी जाती है. लेकिन ऐसा क्यों हैं, वैष्णों देवी के दरबार में माता के दर्शन के बाद लोग भैरो मंदिर में माथा टेकने क्यों जाते हैं. तो ये सारी जानकारी से पहले आपको बताते हैं कि भैरव बाबा कौन है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भैरोनाथ को दानव कुल का माना जाता है. कहते हैं भैरों एक प्रसिद्ध तांत्रिक थे और उन्हें अघोरी साधु भी माना जाता है. लेकिन माता वैष्णो देवी ने भैरव बाबा का वध क्यों किया और उन्हें ये वरदान कैसे मिला कि माता वैष्णो देवी के दर्शन के बाद जो भी श्रद्धालू उनके दर्शन करेगा तभी उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी. 

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भैरव बाबा की पौराणिक कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसारे एक बाद श्रीधर नाम का माता का एक भक्त था जो गांव में रहता था. एक दिन माता के आदेश पर उसने भंडारे का आयोजन किया. दिव्य कन्या की आज्ञा से श्रीधर ने गांव में जब भंडारा करने लगा तब उसने पास के गांव में भी भोज का निमंत्रण दिया और साथ ही गोरखनाथ और उनके शिष्य भैरौंनाथ के साथ अन्य शिष्यों को भी इस भंडारे मे आने का आमंत्रण भेजा. भंडारे में माता ने दिव्य कन्या का रूप लिया और लोगों को उनके पसन्द के पकवान परोसने लगी. जब माता भैरौंनाथ के पास गई तो भैरौं ने खीर पूड़ी खाने से इंकार कर दिया और मांस मदिरा खाने की बात कहने लगा. माता ने भैरौं को बहुत समझाया किन्तु वे नहीं माना.

भैरौंनाथ ने कन्या रूपी मां का हाथ पकड़ लिया लेकिन माता ने अपना हाथ भैरौं के हाथ से छुड़वाया और त्रिकूट पर्वत की ओर चल पड़ी. भैरौं उनका पीछा करते हुए उस स्थान पर आ गए। भैरौं का युद्ध श्री हनुमान से हुआ जब वीर लंगूर निढाल होने लगे तो माता वैष्णो ने महाकाली के रूप में भैरौं का वध कर दिया। अपने वध के बाद भैरौंनाथ को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने माता से क्षमा मांगी तो माता ने उन्हें भी पूजित होने का वरदान दिया और अपने से भी ऊंचा स्थान दिया.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।) 

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Source : News Nation Bureau

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