Shri Mahakaleshwar Mandir: भस्म आरती का क्या महत्व है, जानें श्री महाकालेश्वर मंदिर में पूजा के नियम

Shri Mahakaleshwar Mandir: भगवान शिव के भक्त हर साल मध्यप्रदेश के श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने जाते हैं. यहां की भस्म आरती का क्या महत्त्व है और इस मंदिर में पूजा के क्या नियम हैं आइए जानते हैं.

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Inna Khosla
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Shri Mahakaleshwar Temple

Shri Mahakaleshwar Temple( Photo Credit : News Nation)

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Shri Mahakaleshwar Mandir: हर हर महादेव !! इस जयकारे की गूंज आपको पूरे उज्जैन में दिनभर सुनायी देगी. मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन करने हर रोज़ देश-विदेश से लाखों श्रद्धालू आते हैं. सुबह 4 बजे की भस्म आरती से मंदिर के कपाट खुलते हैं फिर दिनभर में यहां 6 बार आरती होती है. दूर-दूर से बाबा महाकाल के दर्शन करने आए श्रद्धालू विशेष रूप से यहां की भस्म आरती देखना चाहते हैं. वैसे आप इसकी ऑनलाइन बुकिंग भी करवा सकते हैं. अगर आप पहली बार बाबा के दर्शन करने जा रहे हैं तो आपको बता दें कि यहां पर पूजा करने के कुछ नियम हैं. जिसका पालन किए बिना आपको मंदिर में एंट्री नहीं मिलती. तो आइए आपको बताते हैं कि दिनभर में कब-कब इस मंदिर में आरती होती है और आप अगर यहां पूजा करने जा रहे हैं तो आपको किन नियमों का पालन करना पड़ेगा. 

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग आरती का समय

- सबसे पहले सुबह 4 बजे भस्म आरती होती है जो विश्वभर में प्रसिद्धि है. 

- दूसरी आरती सुबह 7 बजे होती है जिसे दत्योदक आरती कहते हैं. 

- तीसरी आरती  सुबह 10 बजे होती है इसे भोग आरती कहते हैं. 

- चौथी आरती शाम 5 बजे होती है इसे पूजन आरती कहा जाता है

- शाम 7 बजे पांचवी संध्या आरती होती है. 

- दिन की अंतिम आरती रात 10.30 बजे की जाती है इसे शयन आरती कहते हैं. 

श्री महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती की खासियत 

पुराणों के अनुसार, महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर का निर्माण प्रजापिता ब्रह्मा ने किया था. धार्मिक ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि कैलाश पर्वत पर वास करने वाले भगवान शिव वहां बहुत ठंड होने के कारण खुद को सर्दी से बचाने के लिए अपने शरीर पर भस्म लगाते थे. कुछ लोग इसे शमशान की भस्म समझते हैं लेकिन ऐसा नहीं है. ये भस्म कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़‌ियों को जलाकर तैयार की जाती है. ये आरती हर दिन 2 घंटे की होती है. आरती के समय मंत्रों का जाप, ध्वनियां और जिस तरह का कंपन पैदा होता है वो अनुभव अद्भुत होता है. एक बार जो इस आरती में शामिल हो जाता है वो जीवनभर इसे भूल नहीं पाता. इस आरती को सुनने के बाद आप भी शक्तिशाली महसूस करने लगते हैं. अपने सारे तनाव भूल जाते हैं और जीवन को नई तरह देखने लगते हैं. 

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श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के नियम

अगर आप  श्री महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती में शामिल होना चाहते हैं तो आपको बता दें कि इसके कुछ नियम हैं. पूजा के समय जो भी पुरुष मंदिर में जाना चाहता है उसे धोती पहननी होती है और महिलाओं को साड़ी, ध्यान देने योग्य बात ये है कि ये कोरे कपड़े यानि नए जिसे आपने पहले कभी ना पहना हो वो होने चाहिए. 

रात के समय नहीं रुक सकते ऐसे लोग 

मान्यता है कि उज्जैन के राजा केवल महाकाल हैं. ऐसे में अगर कोई भी राजा रूपी नेता अर्थात प्रधानमंत्री या जन प्रतिनिधि उज्जैन शहर की सीमा में रात ठहरता है तो उसे इस अपराध का दंड भुगतना होता है. आज तक इस गुस्ताखी के लिए किसी को माफी नहीं मिली है. वैसे आपको ये भी बता दें कि उज्‍जैन को ग्रंथों में स्‍वर्ग बताया गया है. यहां पर श्री गणेश के तीनों रूपों की पूजा होती है चिंतामन, मंधामन और इच्‍छामन... ये तीनों ही रूप यहां विद्यमान होने के कारण यहां आने वाले श्रद्धालू कभी खाली हाथ नहीं लौटते. लेकिन जो यहां के नियमों का पालन नहीं करता उसे इसके विपरीत परिणाम भी भोगने पड़ते हैं. 

तो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने जाएं. उनका आशीर्वाद पाएं. लेकिन मंदिर के नियमों का पालन सख्ती से करें. मान्यता है कि आरती के दौरान भक्तों की प्रार्थनाएं सीधा भगवान तक पहुंचती हैं क्योंकि भगवान भस्म आरती अनुष्ठान से बहुत प्रसन्न होते हैं।

Source : News Nation Bureau

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