Maha Kumbh 2025: महाकुंभ मेला सिर्फ भारत का ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित करने वाला एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है. ये मेला मानवता की भक्ति, आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है. महाकुंभ का आयोजन विश्व भर के साधु-संतों, धार्मिक विद्वानों और श्रद्धालुओं को एकजुट करता है. कई देशों के लोगों का इस महोत्सव में आना भारतीय संस्कृति और सभ्यता को वैश्विक मंच पर प्रचारित करता है. महाकुंभ में बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक शामिल होते हैं. इससे भारत की पर्यटन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है. विदेशी मेहमानों के आने से होटल, यात्रा सेवाओं और स्थानीय व्यापारों में उछाल आता है. इसके अलावा, महाकुंभ के दौरान आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भारत की विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रदर्शन होता है.
साल 2025 में महाकुंभ कब लगेगा ?
इस बार महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर 12 साल बाद महाकुंभ मेले का आयोजन होता है. अगले साल 2025 में 13 जनवरी से महाकुंभ के महापर्व की शुरुआत हो रही है. लगभग 45 दिनों तक चलने वाला ये महामेला 26 फरवरी 2025 तक चलेगा. इस दौरान कई शुभ शाही स्नान तिथियां भी पड़ेंगी जब प्रयागराज में जबरदस्त भीड़ होगी.
राजनयिक संबंधों की मजबूती
महाकुंभ में कई देशों के राजनयिक, सांस्कृतिक प्रतिनिधि और विदेशी पत्रकार शामिल होते हैं. यह भारत के लिए एक अवसर है कि वह अपनी सांस्कृतिक धरोहर के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को प्रभावित करे और राजनयिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाए.
वैश्विक पर्यावरण संदेश
महाकुंभ के दौरान गंगा नदी और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया जाता है. यह संदेश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण है क्यों कि पर्यावरणीय मुद्दे वैश्विक चिंता का विषय हैं. भारत महाकुंभ मेले के माध्यम से जल संरक्षण और पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखा सकता है.
आध्यात्मिक संवाद और वैश्विक शांति
महाकुंभ में अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों के बीच संवाद का अवसर मिलता है. इससे वैश्विक शांति और सामंजस्य को बढ़ावा देने में सहायक है. धार्मिक संतो और विचारकों द्वारा दिए गए संदेश पूरी दुनिया को नैतिकता और मानवता के प्रति प्रेरित करते हैं.
डिजिटल और मीडिया कनेक्टिविटी
महाकुंभ में अंतरराष्ट्रीय मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की व्यापक भागीदारी होती है. यह आयोजन भारत की डिजिटल कनेक्टिविटी और आयोजन क्षमता को दिखाने का एक बड़ा मंच है, जिससे देश की सॉफ्ट पावर को बल मिलता है. ये मेला भारतीयता को वैश्विक पटल पर मजबूती से स्थापित करता है और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को सशक्त बनाने में सहायक है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)